देश में प्रति चार मिनट में एक महिला को ब्रेस्ट कैंसर
अहमदाबाद में प्रति एक लाख में से 23.4 को ब्रेस्ट कैंसर
-ब्रेस्ट कैंसर अवेयरनेस मंथ पर विशेष

अहमदाबाद. देश में ब्रेस्ट कैंसर एक बड़ी समस्या के रूप में उभर रही है। आंकड़ों पर गौर करेंं तो प्रति चार मिनट में एक महिला ब्रेस्ट कैंसर का शिकार होती है। अहमदाबाद शहर में हरेक एक लाख महिलाओं में से 23.4 को ब्रेस्ट कैंसर की पुष्टि की दर है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस समस्या से बचने के लिए महिलाओं को हर माह खुद को जांच करनी चाहिए। प्रारांभिक अवस्था में कैंसर का पता चलने पर पूरी तरह से उपचार संभव है।
अहमदाबाद में वासणा स्थित गुजरात कैंसर सोसायटी एवं जीसीआरआई संचालित कम्युनिटी ऑन्कोलॉजी सेंटर के विशेषज्ञों का कहना है कि मेमोग्राफी कराने वाली हर दो महिलाओं में से एक को किसी न किसी तरह की गांठ निकलती है। इनमें से ज्यादातर गांठ सामान्य तरह की होती है। पिछले वर्ष कुल 3520 महिलाओं की मेमोग्राफी की गई। इनमें से 1500 से अधिक को किसी न किसी प्रकार का ट्यूमर पाया गया। हालांकि उसके बाद चरणबद्ध रूप से की गई अन्य जांचों में 1500 में से 46 को ब्रेस्ट कैंसर निकला और 40 की गांठ कैंसर संभावित मिली।
गुजरात कैंसर एंड रिसर्च इंस्टी्टयूट (जीसीआरआई) की पूर्व उप निदेशक एवं वासणा स्थित आंकोलोजी सेंटर की मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. गीता जोशी ने बताया कि ब्रेस्ट कैंसर महिलाओं की मृत्यु का बड़ा कारण बन रहा है। देश में पिछले वर्ष कुल 1.62 लाख महिलाओं को ब्रेस्ट कैंसर पाया गया और इस बीमारी की वजह से 87000 महिलाओं को जान गंवानी पड़ी। डॉ. गीता ने बताया कि देश में केरल मेेें ब्रेस्ट कैंसर के ज्यादा मामले सामने आते हैं जबकि मिजोरम में इस बीमारी की वजह से सबसे ज्यादा मौत होती हैं। विश्व में हर एक लाख महिलाओं में से 24 को ब्रेस्ट कैंसर होता है जबकि भारत में 27.7 महिलाओं को यह बीमारी हो सकती है। हालांकि अहमदाबाद में यह दर 23.4 है।
ट्यूमर का नाम सुनकर डर जाती हैं महिलाएं
आंकोलॉजी सेंटर में रेडियोलॉजी विभाग की डॉ. तेजल शाह का कहना है कि मेमोग्राफी और सोनोग्राफी के दौरान गांठ (ट्यूमर) की सुनकर महिलाएं सहम जाती हैं। जबकि हर ट्यूमर कैंसर नहीं होता है। उनका कहना है कि मेमोग्राफी कराने वाली महिलाओं में से 42 से 50 फीसदी को ट्यूमर निकला है है और एक फीसदी से भी कम को कैंसर की पुष्टि होती है।
खुद को जांचना महत्वपूर्ण
डॉ. तेजल शाह का कहना है कि प्रति माह महिलाओं को खुद को जांच करनी चाहिए। इससे भी संभावित ट्यूमर को पकड़ा जा सकता है और प्रारांभिक चरण में ही उपचार से पूर्ण रूप से ठीक हो सकता है। स्वत: जांच के लिए महिलाओं को खुलकर बातचीत करनी चाहिए। भारत में इसलिए ही मृत्युदर अधिक है कि यहां कैंसर के ज्यादातर मामले तीसरे और चौथे स्टेज में सामने आते हैं। प्रथम और दूसरे स्टेज पर कैंसर को पकड़ा जाए तो मृत्युदर में काफी कमी आ सकती है। इसके लिए 40 वर्ष से अधिक आयु की महिला को प्रति वर्ष मेमोग्राफी करवानी चाहिए।
डेढ सौ महिलाओं की मेमोग्राफी पेप टेस्ट निशुल्क
डॉ. गीता जोशी ने बताया कि ब्रेस्ट कैंसर अवेयरनेस मंथ के उपलक्ष्य में कम्युनिटी ऑन्कोलॉजी सेंटर में 150 जरूरतमंद महिलाओं की मेमोग्राफी और पेप टेस्ट निशुल्क किए जाएंगे। इसके लिए अनुदान संस्था की ओर से दिया गया है। हर वर्ष नलिनी शाह फाउंडेशन तथा वनीता मेहता फाउंडेशन की ओर से दान की राशि दी जाती है। वर्ष 2018 इन संस्थाओं के सहयोग से चार सौ महिलाओं की निशुल्क जांच की गई उनमें से दो को कैंसर की पुष्टि हुई थी। उन्होंने कहा कि कम्युनिटी ऑन्कोलॉजी सेंटर में कैंसर संबंधित जांचें काफी राहतदर पर की जाती हैं। निजी अस्पतालों में दो से ढाई हजार रुपए में होने वाली मेमोग्राफी यहां आठ सौ रुपए में की जाती है।
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