राज्य सरकार ने कहा कि इन लोगों की ओर से पेश शपथपत्र विश्वास भरा नहीं दिखता है। इससे यह पता चलता है कि यह शपथपत्र सिर्फ बढ़ा-चढ़ाकर प्रस्तुत करने के उद्देश्य से न्यायालय में पेश किया गया है। अब इस मामले की सुनवाई १२ दिसम्बर को होगी। अहमदाबाद – मुंबई बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट से प्रभावित राज्य के चार जिलों-भरूच, नवसारी, वलसाड व सूरत के किसानों की ओर से जमीन अधिग्रहण व मुआवजे को लेकर चुनौती दी गई है।
वकील आनंद याज्ञिक के मार्फत दायर याचिकाओं में भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास व पुनसर््थापन (गुजरात संशोधन) अधिनियम के कुछ प्रावधानों को चुनौती दी गई है।
जमीन के बाजार दर को मू्ल्यांकन या समीक्षा किए बिना भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया अवैध व असंवैधानिक है। इन जमीनों के बाजार दर की समीक्षा नहीं की गई है। इसलिए प्रभावित किसानों को २०१८ के जंत्री दर से बढ़ा हुआ मुआवजा दिया जाना चाहिए। बढ़ा हुआ मुआवजा नहीं देना इन जमीन मालिकों को उनकी आाजीविका से वंचित रखना है। राज्य में जंत्री की दरों को अंतिम बार वर्ष २०११ में संशोधित किया गया था।
भूमि अधिग्रहण से जुड़ा गुजरात संशोधन अधिनियम, २०१६ असंवैधानिक है। इस अधिनियम के तहत गुजरात सरकार जनहित से जुड़े किसी भी प्रोजेक्ट के लिए सामाजिक प्रभाव मूल्यांकन, अनुमति लेने और खाद्य सुरक्षा के प्रावधानों को खत्म कर दिया है जो मूल अधिनियम, २०१३ के प्रावधानों के खिलाफ है।
वकील आनंद याज्ञिक के मार्फत दायर याचिकाओं में भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास व पुनसर््थापन (गुजरात संशोधन) अधिनियम के कुछ प्रावधानों को चुनौती दी गई है।
जमीन के बाजार दर को मू्ल्यांकन या समीक्षा किए बिना भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया अवैध व असंवैधानिक है। इन जमीनों के बाजार दर की समीक्षा नहीं की गई है। इसलिए प्रभावित किसानों को २०१८ के जंत्री दर से बढ़ा हुआ मुआवजा दिया जाना चाहिए। बढ़ा हुआ मुआवजा नहीं देना इन जमीन मालिकों को उनकी आाजीविका से वंचित रखना है। राज्य में जंत्री की दरों को अंतिम बार वर्ष २०११ में संशोधित किया गया था।
भूमि अधिग्रहण से जुड़ा गुजरात संशोधन अधिनियम, २०१६ असंवैधानिक है। इस अधिनियम के तहत गुजरात सरकार जनहित से जुड़े किसी भी प्रोजेक्ट के लिए सामाजिक प्रभाव मूल्यांकन, अनुमति लेने और खाद्य सुरक्षा के प्रावधानों को खत्म कर दिया है जो मूल अधिनियम, २०१३ के प्रावधानों के खिलाफ है।