बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट : रेलवे का भूमि अधिग्रहण का अधिकार गुजरात सरकार को देना अनुचित
-लंबित मामले के दौरान अधिसूचना जारी करना गलत, खारिज करें
-बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट को लेकर प्रभावित किसानों ने पेश किया जवाब
बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट : रेलवे का भूमि अधिग्रहण का अधिकार गुजरात सरकार को देना अनुचित
अहमदाबाद. अहमदाबाद-मुंबई बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट को लेकर केन्द्र सरकार के रेलवे मंत्रालय की ओर से भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया का अधिकार राज्य सरकार को देना अनुचित है।
प्रोजेक्ट से प्रभावित किसानों की ओर से केन्द्र के जवाब का प्रत्युत्तर देते हुए कहा कि रेलवे मंत्रालय ने इन याचिकाओं के लंबित रहने के दौरान गत 8 अक्टूबर को अधिसूचना जारी की। यह अधिसूचना भारतीय संविधान की धारा 258 (1) के तहत जारी की गई जिसमें केन्द्र सरकार की ओर से भूमि अधिग्रहण का अधिकार राज्य सरकार के मातहत कर दिया गया। भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया जो केन्द्र सरकार की ओर से की जानी थी, अब उसका अधिकार राज्य सरकार को दिया गया है। इतना ही नहीं, अधिसूचना पिछली तारीख से लागू होगी। इसका मतलब 8 अक्टूबर 2018 से पहले गुजरात सरकार की ओर से इस संबंध में लिए गए निर्णय, अधिसूचना व प्रक्रिया को पूरी तरह वैध माना जाएगा।
हालांकि, अब याचिकाकर्ताओं की ओर से इसी बात को चुनौती दी गई है कि कार्यकारी कार्यों के तहत अधिकारों को पिछली तारीख से लागू नहीं माना जा सकता। यह कुछ नहीं बल्कि अधिकारों का दुरुपयोग है क्योंकि प्रतिवादियों ने इस याचिकाओं पर जवाब देने के लिए लगातार समय की मांग की और मामले के लंबित रहने के दौरान यह अधिसूचना जारी की जो कानून की प्रक्रिया में हस्तक्षेप के समान है। इसलिए इस अधिसूचना को गैरकानूनी व असंवैधानिक बताते हुए खारिज कर देना चाहिए।
अब प्रतिवादियों की ओर से पेश किए गए हलफनामे के आधार पर संशोधित याचिका पेश की गई है जिसमें केन्द्र सरकार की अधिसूचना को चुनौती दी गई है। इस मामले की सुनवाई 22 अक्टूबर रखी गई है।
दक्षिण गुजरात के कुछ किसानों की ओर से वकील आनंद याज्ञिक के मार्फत गत जून महीने में भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया को चुनौती दी गई थी। इस मामले की सुनवाई अब 22 अक्टूबर को होगी।
इससे पहले मुंबई-अहमदाबाद बुलेट प्रोजेक्ट से जुड़े भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया को चुनौती देने को लेकर करीब 40 नई याचिकाएं दायर की गई थी। सूरत, वलसाड, भरूच व नवसारी जिलों के किसानों की ओर से दायर याचिका में भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया को चुनौती दी गई है। इससे पहले एक हजार किसानों ने निजी रूप से शपथपत्र पेश कर भूमि अधिग्रहण प्रकिया को चुनौती दी थी।
इन याचिकाओं में यह कहा गया है कि जब कोई प्रोजेक्ट एक से ज्यादा राज्यों में फैला हो तब भूमि अधिग्रहण के लिए केन्द्र सरकार ही उचित सरकार होती है जबकि भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया गुजरात सरकार की ओर से की जा रही है।