अहमदाबाद

गुजरात के पूर्व आईएएस अधिकारी पर आय से 198 फीसदी अधिक संपत्ति जुटाने का आरोप, मामला दर्ज

पूर्व आईएएस अधिकारी एवं गांधीनगर के पूर्व कलक्टर एस के लांगा की मुसीबतें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं।

अहमदाबादApr 19, 2024 / 10:44 pm

nagendra singh rathore

गुजरात के पूर्व आईएएस अधिकारी एस के लांगा।

पूर्व आईएएस अधिकारी एवं गांधीनगर के पूर्व कलक्टर एस के लांगा की मुसीबतें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। गुजरात भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने अहमदाबाद शहर एसीबी थाने में लांगा एवं उनके पुत्र परीक्षित गढवी के विरुद्ध आय से अधिक संपत्ति का मामला दर्ज किया है। पूर्व आईएएस अधिकारी लांगा पर उनके पद का दुरुपयोग करते हुए उनकी आय से 198 फीसदी संपत्ति जुटाने का आरोप है।
एसीबी के अनुसार एस के लांगा की एक अप्रेल 2008 से 30 सितंबर 2019 तक की आय व उनकी ओर से संपत्तियों में किए गए निवेश, खर्च की जांच की गई। इसमें सामने आया कि इस अवधि में लांगा की वैधानिक आय पांच करोड़ 87 लाख 56 हजार 939 रुपए होती है। इस समयावधि में उन्होंने 17 करोड़ 59 लाख 74 हजार 682 रुपए का खर्च एवं चल अचल संपत्तियों में निवेश किया। जांच में सामने आया कि उन्होंने अपने आईएएस अधिकारी होने के नाते उन्हें मिले पद और अधिकारों का दुरुपयोग करते हुए कथित रूप से भ्रष्टाचार करते हुए काफी संपत्ति जुटाई। लांगा की ओर से इस समयावधि के दौरान उनकी आय से 11 करोड़ 64 लाख 28 हजार रुपए ज्यादा का निवेश किया, जो उनकी कुल वैधानिक आय की तुलना में 198 फीसदी से भी ज्यादा है।
ज्ञात हो कि वर्ष 2018-19 में गांधीनगर के तत्कालीन कलक्टर रहते हुए अपने अधिकारों का दुरुपयोग करते हुए सरकार को करोड़ों रुपए का नुकसान पहुंचाने और करोड़ों की संपत्ति जुटाने का मामला दर्ज है। जुलाई 2023 में एस के लांगा को गिरफ्तार भी किया जा चुका है।

पुत्र के नाम से फर्जी कंपनियां बनाकर किया निवेश

एसीबी ने बताया कि प्राथमिक जांच में सामने आया कि एस के लांगा ने उनके पुत्र परीक्षित गढवी के साथ मिलीभगत की। उन्होंने पुत्र के नाम पर कई संपत्तियां खरीदीं। ऐसी संपत्तियां खरीदने से पहले हर बार उनके पुत्र की मालिकी से एक कंपनी बनाई गई (फर्जी कंपनी)। ये फर्जी कंपनी थीं। इनमें टुकड़े-टुकड़े में राशि जमा की गई। इसके बाद इस राशि को बचत खाते में ट्रांसफर किया गया और उसके जरिए संपत्तियों को खरीदा गया। लांगा ने पुत्र की फर्जी कंपनियों में नकदी के रूप में पांच करोड़ 44 लाख 92 हजार रुपए से ज्यादा निवेश किया। यह राशि भ्रष्टाचार के जरिए जुटाए जाने की आशंका है। इससे जुड़े तथ्य भी प्राथमिक जांच में एसीबी के हाथ लगे हैं, जिससे एसीबी ने दोनों के विरुद्ध आय से अधिक संपत्ति का मामला दर्ज किया है।

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