अहमदाबाद

इस साल दिवाली पर चाइनीज पटाखा, लाइट्स की बिक्री ४५ फीसदी घटी!

इस दिवाली चाइना में बने चाइनीज पटाखा व चाइनीज एलईडी, फैंसी लाइट्स, रंगोली, भगवान गणेश, लक्ष्मीजी की बनी प्रतिमाओं सहित अन्य उत्पाद की बिक्री में बीते

अहमदाबादOct 10, 2017 / 09:28 pm

मुकेश शर्मा

China’s cracker, lights sales down 45 percent this year on Diwali!

अहमदाबाद।इस दिवाली चाइना में बने चाइनीज पटाखा व चाइनीज एलईडी, फैंसी लाइट्स, रंगोली, भगवान गणेश, लक्ष्मीजी की बनी प्रतिमाओं सहित अन्य उत्पाद की बिक्री में बीते वर्ष की तुलना में ४५ प्रतिशत तक की कमी आने की संभावना है। चाइना एलईडी, मोबाइल फोन व अन्य इलैक्ट्रॉनिक उत्पाद में भी करीब १५-२० प्रतिशत की गिरावट देखी गई है। एसोचैम की ओर से अहमदाबाद, जयपुर , भोपाल, चेन्नई, बैंगलूरु, चेन्नई, देहरादून, दिल्ली, हैदराबाद, लखनऊ व मुंबई में किए गए सर्वेक्षण में यह तथ्य सामने आए हैं।

सर्वे रिपोर्ट में सामने आया कि भारतीय लोगों को चाइनीज पटाखों की तुलना में तमिलनाडु के शिवकाशी में बने पटाखे ज्यादा पसंद आ रहे हैं। चाइनीज इलैक्ट्रिक व फैंशी दीपकों की जगह भारत में बने मिट्टी के दीपकों की ओर ग्राहक मुड़े हैं। इसकी मुख्य वजह थोक व्यापारी हों या फुटकर व्यापारी वह चाइनीज पटाखा, लाइटों व अन्य उत्पादों में किसी भी प्रकार की गारंटी नहीं देते हैं। जिससे ग्राहकों का इस पर मोह कम हो रहा है। वह चाइनीज उत्पादों की जगह भारत में बने उत्पादों की ओर मुड़ रहे हैं।

एक अनुमान के अनुसार, बीते वर्ष २०१६ में दीपावली पर करीब साढ़े छह हजार करोड़ रुपए के चाइनीज उत्पादों की बिक्री हुई थी। जिसमें से करीब ४ हजार करोड़ के उत्पाद दीपावली से जुड़ी फैंसी लाइट्स, खिलौने, गिफ्ट आइटम, साज-सज्जा उत्पाद थे। वैसे भारत चाइनीज उत्पादों का सबसे बड़ा मार्केट है। यहां पर चाइना के खिलौने, फर्नीचर, बिल्डिंग हार्डवेयर, पटाखे, लाइटिंग, इलैक्ट्रिक फिटिंग, फर्निसिंग फेब्रिक, ऑफिस स्टेशनरी, किचन इक्विपमेंट, इलैक्ट्रिॉनिक उत्पाद, घड़ी प्रमुख हैं।

नौकरी पेशा लोगों में ३० फीसदी को मानसिक रोग के लक्षण!

निजी कंपनियों और सरकारी नौकरी करने वालों में से लगभग तीस फीसदी लोग मानसिक रोग के प्राथमिक लक्षणों का सामना कर रहे हैं। हालांकि सरकारी की तुलना में निजी और कॉर्पोरेट कंपनियों में इस तरह की समस्या अधिक है। शहर के मेंटल अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. अजय चौहाण ने कहा कि पिछले दिनों हुए एक सर्वेक्षण में सामने आया है कि भागदौड़ भरे जीवन में लोग अवसाद, चिन्ता, और तनाव जैसी समस्याओं से जूझ रहे हैं।

ये ही समस्या मानसिक रोग के प्राथमिक लक्षण भी हैं। इनके कारण न सिर्फ दिमागी असर होता है बल्कि कई बीमारियां भी घेरने लगती हैं। उन्होंने कहा कि स्वभाव में चिड़चिड़ापन आता है जिसका दुष्प्रभाव परिवार और नौकरी स्थल पर भी होता है। विश्व स्वास्थ्य संस्था के आंकड़ों के अनुसार विश्व में साढ़े तीन करोड़ लोग डिप्रेशन अर्थात अवसाद के शिकार हैं। इतना ही नहीं भारत में कॉर्पोरेट और निजी संस्थाओं में नौकरी करने वाले ४२ फीसदी लोग डिप्रेशन से पीडि़त हैं।

सरकारी क्षेत्र में नौकरी करने वाले लोगों में यह समस्या कम पाई गई है। निजी कंपनियों में नौकरी की सुरक्षा और काम का अधिक बोझ इसके जिम्मेदार पहलू बताए गए। ये समस्याएं शारीरिक बीमारी जैसे मधुमेह, रक्तचाप, अनिंद्रा को बुलावा देती हैं।

डॉ. चौहाण ने कहा कि इस तरह की समस्याओं को कम करने के लिए कंपनियों को कुछ कदम उठाने चाहिए।

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