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कृषि, किसान, गांव से दूर हो रहे शहरी नागरिक: इलाबेन

locationअहमदाबादPublished: Nov 02, 2018 10:22:39 pm

महिलाओं के काम की सरलता को नहीं हो रही शोध-गुप्ता,गुजरात विद्यापीठ का चौथा किसान स्वराज सम्मेलन

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कृषि, किसान, गांव से दूर हो रहे शहरी नागरिक: इलाबेन

अहमदाबाद. गुजरात विद्यापीठ की कुलाधिपति व समाजसेवी इलाबेन भट्ट ने कहा कि शहरी नागरिक खेती, किसान और गांवों से दूर होते जा रहे हैं। हम लोग उपभोक्ता बन गए हैं। किसानों की स्थिति सुधारने के लिए शहरी नागरिकों को अन्नदाता किसानों से हाथ मिलाते रहना पड़ेगा। उनकी आजीविका में सुधार और वृद्धि की कोशिशें करनी होगीं।
वे शुक्रवार को गुजरात विद्यापीठ में आयोजित चौथे किसान स्वराज सम्मेलन के उद्घाटन समारोह को संबोधित कर रही थीं। उन्होंने कहा कि कृषि को भारत में कभी भी व्यवसाय नहीं माना गया। इसीलिए किसान बदहाल होता गया। दुनिया मानती है कि किसान अशिक्षित है, इसलिए खेती करता है। लेकिन दुनिया को किसान के कौशल व ज्ञान और परख की पूरी समझ नहीं है। वो बहुविध ज्ञान रखता है। पर्यावरण की समझ रखता है।
सृष्टि के प्रो. अनिल गुप्ता ने कहा कि भारत के गांव में जो ज्ञान छिपा है वो कहीं नहीं है। उन्होंने किसानों से कहा कि आप जो खेत में प्रयोग करते हो। उसके पोस्टर भी तैयार करो ताकि आपके ज्ञान व कौशल व प्रयोग को अन्य लोगों तक पहुंचाया जा सके। इन पोस्टरों के साथ कॉन्फ्रेंस में भी भाग लो। उन्होंने कहा कि महिलाओं के काम की सरलता को ज्यादा शोध नहीं हो रहे हैं। आज भी बाजरे की बुवाई को झुककर ही करना पड़ता है।
कुलनायक ने कहा कि आज भी देश में ३५ से ४० फीसदी कृषि उत्पाद बाजार में पहुंचने से पहले ही खराब हो जाते हैं। दूसरी ओर कईयों के पास खाने की कमी है। इस खाई को पाने की दिशा में काम होना चाहिए।
कुलसचिव डॉ. राजेन्द्र खीमाणी ने कहा कि कार्यक्रम को एक अलग दृष्टिकोण से देखने की जरूरत है। इसमें 21 राज्यों से किसान आए हैं। जिसमें ३५ से ४० फीसदी महिला किसान हैं। कार्यक्रम के दौरान गुजरात विद्यापीठ की ओर से प्रकाशित पुस्तक जीएम मिथ एंड ट्रुथ का भी विमोचन किया गया। सम्मेलन में कृषि पारिस्थितिकीय सलाह और कौशल भागीदारी, भागिया आदिवासी और महिला किसान, संसाधनों का नियंत्रण व कृषि स्वावलंबन विषय पर किसान व कृषि विशेषज्ञों की ओर से 20 समानांतर सत्रों में संवाद भी किया गया।
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