सिविल अस्पताल में मरीजों की बढ़ती संख्या का आंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यहां प्रतिवर्ष लगभग साढ़ छह लाख अर्थात प्रतिदिन लगभग दो हजार मरीज ओपीडी में आते हैं। लगभग तीस हजार ऑपरेशन और सात हजार के करीब प्रसूति होती हैं। गुजरात और अन्य राज्यों से बड़ी संख्या में मरीज इलाज के लिए आने के कारण यहां हर जगह मरीजों को लंबी कतारों से गुजरना पड़ता है। जिसे ध्यान में रखकर अस्पताल प्रशासन ने ओपीडी की तमाम खिड़कियों पर केस निकलवाने के लिए लगने वाली कतारों से छुटकारा दिलाया है। अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. एम.एम. प्रभाकर ने बताया कि सर्वप्रथम ओपीडी विभाग में लंबी कतारों के निकारण में टोकन सिस्टम की शुरुआत की है। मरीजों को बारह बजे से पहले आकर टोकन लेकर ओपीडी विभाग में बैठना होगा। उसके बाद नंबर आते ही उनका केस तैयार हो जाएगा।
उन्होंने कहा कि आगामी दिनों में अन्य कतारों का निपटारा भी किया जाएगा। आधार कार्ड के माध्यम से भी आसाना सुविधा के बारे में काम किया जा रहा है। गुजरात या अन्य राज्यों से आने वाले मरीजों को बायोमेट्रिक के आधार पर केस निकल सकता है। जिसे ध्यान में रखकर कार्य प्रगति पर है।
१५ बच्चों का सफल बॉनमेरो ट्रान्सप्लान्ट का दावा
शहर के सिम्स अस्पताल में पिछले छह माह में थेलेसीमिया से पीडि़त पन्द्रह बच्चों को बॉन मैरो ट्रान्सप्लान्ट (बीएमटी) करने की उपलब्धि हासिल की है। इन सभी बच्चों की हालत में तेजी से सुधार होने का दावा किया गया है।
सिम्स अस्पताल के चैयरमेन केयूर परीख ने बताया कि चिकित्सकों के सहयोग से समाज के आर्थिक रूप से पिछड़े मरीजों तथा उनके परिजनों के सहयोग के उद्देश्य से सिम्स फाउंडेशन की रचना की गई है।
संकल्प इंडिया फाउंडेशन के स्वयंसेवक और सलाहकर बोर्ड के सदस्य डॉ. सुंदरसन अय्यर ने कहा कि सिम्स अस्पताल में यह गतिविधि सराहनीय है। बीएमटी फिजिशियन दीपा त्रिवेदी के अनुसार इन बीएमटी करने के बाद सभी बच्चों की हालत में तेजी से सुधार हो रहा है। मरीजों का रक्त समूह भी बदल रहा है। बीएमटी को उन्होंने इस दिशा में नई शुरुआत बताया। पीडियाट्रिक हेमोटोलोजी एवं ऑकोंलोजी और सिम्स स्थित बीएमटी विभाग के अध्यक्ष डॉ. विक्रमजीत एस. कंवर ने कहा कि भारत में बीएमटी का यह चौथा सफल केन्द्र बनने की दिशा में कार्यरत है।