मुख्यमंत्री रुपाणी ने कोमन मैन की तरह राज्य के विभिन्न समाज, वर्गों से संवाद-गोष्ठी के लिए ‘मोकळा मन संवादÓ की श्रृंखला एक और कड़ी जोड़ी गई। मुख्यमंत्री कोरोना संक्रमण के इस काल में जिन्होंने अपने माता-पिता को खोया है और बेसहारा बने हैं। ऐसे बच्चों को मुख्यमंत्री आवास पर बुलाकर भावनात्मक संवाद किया गया।
गुजरात के 33 जिलों के ऐसे 35 बेसहारा बच्चों को मुख्यमंत्री आवास पर बुलाकर ‘मोकळा मनेÓ कार्यक्रम के जरिए मुख्यमंत्री रुपाणी ने सीधा संवाद किया। बच्चों के साथ उनके पालक अभिभावक भी शामिल हुए थे।
मुख्यमंत्री ने जोर देते कहा कि कोरोना के चलते बेसहारा बने बच्चों के भविष्य ख्याल रखते हुए राज्य सरकार ने ‘मुख्यमंत्री बाल सहायÓ योजना प्रारंभ की है। बेसहारा बच्चों का भविष्य नहीं बिगड़े। इसके चलते संवेदना दिखाते हुए ऐसे बच्चों का अभिभावक बनकर उनका भविष्य संवारने के सेवा यज्ञ का राज्य सरकार ने प्रारंभ किया है। ऐसे बच्चों के भरण-पोषण, शिक्षा, स्वास्थ्य एवं स्वरोजगार के लिए प्रशिक्षण- ऋण और सहायता उपलब्ध कराने की योजना की प्रारंभ की है।
ऐसे बच्चों के 21 वर्ष पूर्ण होने के बाद जो भी उच्च शिक्षा हासिल करना चाहेंगे या उनकी 24 वर्ष आयु पूर्ण हो, उसमें जो भी पहले हो उन्हें आफ्टर केयर योजना का लाभ भी दिया जाएगा। स्नातक एवं स्नातकोत्तर के पाठ्यक्रम इस योजना के लिए मान्य होंगे। 14 वर्ष से बच्चों के लिए वोकेशनल प्रशिक्षण एवं 18 वर्ष से ज्यादा के बच्चों के लिए कौशल विकास प्रशिक्षण भी ‘मुख्यमंत्री बाल योजना के तहत दिया जाएगा।
इस योजना के तहत राज्य के ऐसे 776 बच्चों के पालक माता-पिता को हर माह चार हजार रुपए सहायता के तौर पर दिए जा रहे हैं। इस योजना के तहत ऐसे बच्चों के खातों में 31 लाख चार हजार रुपए जमा कराए दिए। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए की सरकार ने सात वर्ष पूर्ण करने के मौके पर 29 मई को घोषित ‘मुख्यमंत्री बाल सेवा योजनाÓ का 38 दिनों में ही राज्यभर में क्रियान्वयन शुरू हो गया।
इस मौके पर मुख्यमंत्री के सचिव अश्विनी कुमार, समाज कल्याण विभाग के निदेशक, सामाजिक एवं न्याय अधिकारिता विभाग के अधिकारी भी मौजूद थे।