तकनीकी स्नातकों को पढ़ाने से पहले लेना होगा एक साल का प्रशिक्षण, एआईसीटीई उपाध्यक्ष डॉ.एम.पी.पूनिया बोले बना रहे हैं योजना
अहमदाबाद. इंजीनियरिंग पाठ्यक्रम में प्रवेश के लिए वर्ष २०१९-२०२० से देशभर में कॉमन एट्रेंस टेस्ट (नेशनल एंट्रेंस एक्जाम फॉर टेक्निकल इंस्टीट्यूशन-नीती) लागू करने पर सरकार गंभीरता से विचार कर रही है। अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) के उपाध्यक्ष डॉ.एम.पी.पुनिया ने शुक्रवार को गांधीनगर महात्मा
मंदिर में संवाददाताओं से बातचीत के दौरान यह जानकारी दी।
जीटीयू के सातवें दीक्षांत समारोह में अतिथि विशेष डॉ.पूनिया ने बताया कि जिस प्रकार से मेडिकल पाठ्यक्रम में प्रवेश के लिए नीट ली जा रही है, उसी प्रकार से इंजीनियरिंग पाठ्यक्रम में भी प्रवेश के लिए कॉमन टेस्ट लागू करने पर योजना तैयार की जा रही है। इसे वर्ष २०१९-२०२० से लागू करने की योजना पर सरकार व परिषद
काम कर रही है। इसे लेने की जिम्मेदारी नई गठित होने जा रही नेशनल टेस्टिंग एजेंसी को सौंपने पर विचार चल रहा है।
भर्ती से पहले पूरी करनी होगी टीचर ट्रेनिंग!डॉ.पूनिया ने बताया कि निजी इंजीनियरिंग, फार्मेसी व तकनीक कॉलेजों में भर्ती होने वाले व्याख्याताओं की गुणवत्ता को बेहतर बनाने के लिए सरकार व एआईसीटीई टीचर ट्रेनिंग पॉलिसी लागू करने जा रही है। इसके तहत एमई,एमफार्म व तकनीक में स्नातकोत्तर डिग्री धारकों को अब निजी कॉलेजों में व्याख्याता के रूप में भर्ती होने से पहले एक साल की ट्रेनिंग पूरी करनी होगी। यह एक साल पर्यवीक्षाकाल माना जाएगा। इसके तहत छह महीने तक कॉलेज में कामकाज का प्रशिक्षण लेना होग। फिर छह महीने वरिष्ठ प्रोफेसर के मार्गदर्शन में प्रशिक्षण पूरा करना होगा। आईसीटी योग्यता लेनी होगी। इसे पूरा करने के बाद ही वह निजी कॉलेज में बतौर व्याख्याता भर्ती हो सकेंगे। अभी उन्हें सीधे ही भर्ती कर लिया जाता है।
यूजी इंजीनियरिंग कोर्स कॉमन करने की कोशिशडॉ.पूनिया ने बताया कि अभी देशभर के तकनीकी विश्वविद्यालयों में स्नातक इंजीनियरिंग (बीई/बीटेक) कोर्स में काफी भिन्नता है। इसे एक समान करने की दिशा में भी सरकार और परिषद काम कर रही है। इसे ज्यादा बेहतर और सरल बनाने की कोशिश की जा रही है।
जीटीयू को मिलेगी शतप्रतिशत प्राध्यापक प्रशिक्षण ग्रांटडॉ.पूनिया ने बताया कि इंजीनियरिंग व तकनीकी पाठ्यक्रमों की शिक्षा को गुणवत्तायुक्त बनाने के लिए प्राध्यापकों का प्रशिक्षण व उनका विकास भी काफी अहम है। इसके लिए गुजरात तकनीकी विश्वविद्यालय की ओर से लागू किए गए फेकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम (एफडीपी) की बेहतरी को देखते हुए जीटीयू को एफडीपी पर होने वाले खर्च की पूरी ग्रांट देने का निर्णय एआईसीटीई की ओर से लिया गया है। इसे पाने वाली जीटीयू देश की पहली तकनीकी यूनिवर्सिटी होगी। जीटीयू में एआईसीटीई साइंस रिसर्च के लिए एक सेंटर भी शुरू करने जा रही है।