अहमदाबाद के कैंसर अस्पताल में दो बच्चों की रोटेशन प्लास्टी सर्जरी
पैर के पंजे करेंगे घुटने का काम...
--कैंसर ग्रस्त घुटने व आसपास के भाग को निकाला
-8 से 10 लाख के खर्च में होने वाले ऑपरेशन को किया निशुल्क

अहमदाबाद. एशिया के सबसे बड़े अहमदाबाद के सिविल अस्पताल कैंपस स्थित गुजरात कैंसर एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट (जीसीआरआई) आर्थात कैंसर अस्पताल में राजस्थान और मध्यप्रदेश के दो बच्चों की रोटेशन प्लास्टी सर्जरी की है। यह ऐसी जटिल सर्जरी है जो देश के गिने चुने अस्पतालों में ही की जाती है, जिसका खर्च भी लाखों रुपए है। हालांकि कैंसर अस्पताल में दोनों ही सर्जरी निशुल्क की है। दोनों ही बच्चों के कैंसर ग्रस्त पैर से घुटने व आसपास का हिस्सा निकालकर बचे हुए पैर से पंजा जोड़ दिया गया है। जिससे वे आसानी से चल सकेंगे।
जटिल सर्जरी करने वाले कैंसर अस्पताल के सीनियर चिकित्सक डॉ. अभिजीत सालुंके ने बताया कि राजस्थान की 12 वर्षीय बालिका और मध्यप्रदेश के नौ वर्षीय बच्चे के एक-एक पैर कैंसर ग्रस्त थे। इन दोनों को कैंसर ने इस तरह से जकड़ लिया कि उनके एक-एक पैर के अधिकांश हिस्से को निकालना पड़ा। जिसमें घुटने भी शामिल हैं। पैर को मोडने और चलने के लिए जरूरी घुटने की कमी को पूरा करने के लिए पैर को पंजे से जोड़ दिया गया है। अब उनके पंजे ही घुटने का काम करेंगे। चिकित्सकीय भाषा में इस सर्जरी को रोटेशन प्लास्टी कहा जाता है। उन्होंने कहा कि पहली बार इस तरह की सर्जरी आठ दिन के भीतर दो बच्चों की की गई है। दोनों बच्चों के पंजे के भाग को कटे हुए पैर से जोड़ा गया है। उन्होंने कहा कि हालांकि उनका पैर सर्जरी के कारण आधे से भी कम रह गए है लेकिन कृत्रिम पैर के सहयोग से वे आसानी से चल सकेंगें और इसके लिए उनका पंजा घुटने का काम करेगा।
नसें का रखा गया विशेष ध्यान
लगभग पांच-पांच घंटे चले इन जटिल ऑपरेशनों में मरीज की नसें और ज्ञान तंतुओं का विशेष ध्यान रखा गया। जिसके कारण मरीज को आगामी समय में कियी तरह की परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा। रिकवरी होने के बाद वे कृत्रिम पैर लगा सकेंगे और आसानी से अपना काम कर सकेंगे।
डॉ. अभिजीत सालुंके, सीनियर चिकित्सक जीसीआरआई
दोनों का निशुल्क ऑपरेशन
आमतौर पर इस तरह के ऑपरेशन का खर्च निजी अस्पतालों में आठ से दस लाख रुपए हो सकता है। लेकिन जीसीआरआई में सरकार की विविध योजनाओं के तहत दोनों ही मरीजों का निशुल्क ऑपरेशन किया गया है। कोरोना की महामारी की विपरीत परिस्थितियों के बीच भी यह ऑपरेशन किए गए। अस्पताल में कुशल चिकित्सकों के सहयोग से यह संभव हो सका है।
डॉ. शशंांक पंड्या, निदेशक जीसीआरआई
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