दुनिया भर में कई देशों में पानी को लेकर लड़ाई उन्होंने कहा कि पानी की अहम जरूरत है। मध्य पूर्व एशियाई देशों में जो लड़ाई है वह जो इजरायल और जॉर्डन, इजरायल और लेबनॉन, इजरायल और फिलीस्तीन के बीच जो लड़ाई है। लोग यह समझते हैं कि यह लड़ाई प्राकृतिक संसाधनों को लेकर है, लेकिन यह लड़ाई पानी को लेकर है।
वेस्ट बैंक, गोलान हाइट्स जैसे क्षेत्रों में पानी का भंडार है, यहां से जॉर्डन नदी निकलती है। यहां का पानी इजरायल दूसरे देश को नहीं देना चाहता है। इस पानी का प्रबंधन इजरायल खुद करता है। इजरायल ने नदियों में सेंसर लगाया है। मुख्य लड़ाई का कारण एक कारण पानी भी है।
उन्होंने बताया कि यूफरेटिस नदी के पानी को लेकर सीरिया और इराक ने तुर्की के खिलाफ अलग गठजोड़ बना लिया है। चीन जैसे देश में यलो रीवर बेसिन में एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में लड़ाई शुरु हो चुकी है। थाइलैण्ड में पूर्व और पश्चिमी थाइलैण्ड के बीच लड़ाई शुरु हो चुकी है।
रूसी संघों के देशों में जहां दुनिया की सबसे में बैकाल व ओमेगा झील जो दुनिया की सबसे बड़ी झीलों में है वह सूखने के कगागर पांच गणराज्यों में पानी को लेकर लड़ाई आरंभ हो चुकी है।
वेस्ट बैंक, गोलान हाइट्स जैसे क्षेत्रों में पानी का भंडार है, यहां से जॉर्डन नदी निकलती है। यहां का पानी इजरायल दूसरे देश को नहीं देना चाहता है। इस पानी का प्रबंधन इजरायल खुद करता है। इजरायल ने नदियों में सेंसर लगाया है। मुख्य लड़ाई का कारण एक कारण पानी भी है।
उन्होंने बताया कि यूफरेटिस नदी के पानी को लेकर सीरिया और इराक ने तुर्की के खिलाफ अलग गठजोड़ बना लिया है। चीन जैसे देश में यलो रीवर बेसिन में एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में लड़ाई शुरु हो चुकी है। थाइलैण्ड में पूर्व और पश्चिमी थाइलैण्ड के बीच लड़ाई शुरु हो चुकी है।
रूसी संघों के देशों में जहां दुनिया की सबसे में बैकाल व ओमेगा झील जो दुनिया की सबसे बड़ी झीलों में है वह सूखने के कगागर पांच गणराज्यों में पानी को लेकर लड़ाई आरंभ हो चुकी है।
पानी का हिस्सा 5 हजार क्यूबिक मीटर प्रति व्यक्ति प्रति वर्ष डॉ. अहमद ने कहा कि वर्ष 1950 में पूरी दुनिया में लगभग 16 हजार क्यूबिक मीटर पानी हर वर्ष प्रत्येक आदमी के हिस्से में था। आज यह पानी लगभग 5 हजार क्यूबिक मीटर प्रति व्यक्ति प्रति वर्ष हो चुका है। देश में वर्ष 1955 में 5 हजार क्यूबिक मीटर पानी था हर आदमी के हिस्से में था। वह आज 1500 क्यूबिक मीटर हो चुका है। अगले 10 वर्षों में यह पानी एक हजार क्यूबिक मीटर हर आदमी के हिस्से में होगा।