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रफाल पर कांग्रेस ने फिर घेरा

locationअहमदाबादPublished: Sep 04, 2018 10:10:35 pm

Submitted by:

Pushpendra Rajput

रफाल एयरक्राफ्ट सौदे

Gujarat congress

रफाल पर कांग्रेस ने फिर घेरा

अहमदाबाद. रफाल एयरक्राफ्ट सौदे को लेकर कांग्रेस लगातार केन्द्र सरकार पर हमला कर रही है। मंगलवार को भी कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता एस. जयपाल रेड्डी ने आरोप लगाया कि रफाल को लेकर केंद्र सरकार और उद्योगपति अनिल अंबानी के बीच सौदा हुआ है। इस सौदे के दो दिन पहले यानि आठ अप्रेल को भारत के विदेश सचिव ने स्पष्ट शब्दों में कहा था भारत के प्रधानमंत्री तथा फ्रांस के राष्ट्रपति के बीच बैठक में रफाल सौदे पर कोई चर्चा नहीं होगी। भारत के विदेश सचिव ने यह भी कहा कि एचएएल तथा द सॉल्ट के बीच में करार के लिए बातचीत जारी है तथा ये सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ रही है। इसका सीधा सा अर्थ है कि विदेश सचिव को इस सौदे पर चर्चा और हस्ताक्षर की कोई जानकारी नहीं थी।
उन्होंने आरोप लगाया कि इस सौदे पर जब हस्ताक्षर किए गए तो तत्कालीन रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर ने इस करार से यह कह कर किनारा कर लिया कि फ्रांस के राष्ट्रपति और भारत के प्रधानमंत्री के बीच में समझौता हुआ है और वे इस करार का समर्थन करते हैं।
रेड्डी ने आरोप लगाया कि इस समझौते पर हस्ताक्षर होने से 12 दिन पहले अर्थात 27 मार्च 2015 को अंबानी ने अपनी कंपनी का पंजीकरण करवाया। इसका अर्थ है कि रफाल सौदे पर हस्ताक्षर होने के 12 दिन पूर्व ही अनिल अंबानी को जानकारी थी।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि यूपीए की तुलना में एनडीए सरकार द्वारा 36 राफेल विमानों की लागत 41,000 करोड़ अधिक बैठती है। हालांकि सरकार इस राशि को उदघाटित नहीं कर रही है। 14 जुलाई 2015 को जब एनडीए सरकार सत्ता में आ चुकी थी, तो प्रतिद्वंदी कंपनी यूरो फाईटर ने सरकार को पत्र लिखा कि वे द सॉल्ट कंपनी की तुलना में 20 प्रतिशत कम लागत पर विमान आपूर्ति के लिए तैयार हैं। इसके बावजूद एनडीए सरकार ने इसका लाभ क्यों नहीं उठाया? यहां पर एक बात स्पष्ट है कि रफालएयरक्राफ्ट की गुणवत्ता पर कोई प्रश्न नहीं है। प्रश्न केवल इसकी कीमत को लेकर है और इससे जुड़े समझौते के संबंध में है। इस एयरक्राफ्ट की गुणवत्ता विश्व के किसी भी लड़ाकू विमान से कम नहीं है। इसकी लागत, इस समझौते से जुड़ी पारदर्शिता, निर्धारित प्रक्रियाओं का उल्लंघन तथा कार्यप्रणाली के संबंध में निश्चित तौर पर प्रश्न उठते हैं।

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