दोनों दलों के नेता मिल बैठकर फिर से करें विचार: सीएम उधर सदन के नेता व मुख्यमंत्री विजय रुपाणी ने कहा कि अध्यक्ष के खिलाफ प्रस्ताव लाने से सदन की गरिमा को ठेस पहुंचेगा। अध्यक्ष पद की गरिमा होती है। इस सदन में अभी तक स्पीकर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा या मतदान नहीं हुआ, इसलिए इस पर चर्चा नहीं होनी चाहिए। इससे इस सदन की अब तक का गौरव बरकरार रह सके।
हालांकि मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि यदि विपक्ष इससे सहमत नहीं हैं तो फिर चर्चा और मतदान किया जाए, लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि इस संबंध में दोनों दलों के वरिष्ठ नेताओं को बैठकर फिर से विचार करना चाहिए कि इसकी नौबत नहीं आए।
कांग्रेस के उपनेता शैलेष परमार ने विधानसभा के नियमों व संवैधानिक प्रावधान का हवाला देते हुए कहा कि मंगलवार को एजेन्डा में स्पीकर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का उल्लेख किया जाना चाहिए। यदि इसमें सचिवालय की गलती है तो इसका मतलब सचिवालय अलग ढंग से काम कर रही है। उन्होंने कहा कि सदन के नेता ने अच्छी बात कही है, लेकिन राज्य सरकार को भी इस संबंध में विचार करना चाहिए कि जनता के प्रतिनिधि को तीन वर्ष निलंबन की इतनी बड़ी सजा नहीं मिलनी चाहिए। सत्ता पक्ष को बड़ा मन रखना चाहिए।
संसदीय मंत्री भूपेन्द्र सिंह चुडास्मा ने कहा कि सदन के नेता की बात का वे समर्थन करते हैं और दोनों दलों के नेता को बैठकर इस मुद्दे का समाधान लाना चाहिए।
सत्ता पक्ष व विपक्षी दलों की चर्चा के बाद स्पीकर ने विपक्ष के नेता की ओर से उठाए गए प्वाइंट ऑफ ऑर्डर को खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि अभी अविश्वास प्रस्ताव को लाए जाने की अवधि पूरी नहीं हुई है।