नहीं थम रही रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी, युवती सहित तीन गिरफ्तार, 12 इंजेक्शन जब्त
अहमदाबाद. कोरोना के गंभीर मरीजों के लिए उपयोगी साबित हो रहे रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। क्राइम ब्रांच ने इस इंजेक्शन को ऊंची कीमत पर बेचने के आरोप में एक युवती सहित तीन लोगों को पकड़ा है। इनके पास से 12 इंजेक्शन जब्त किए हैं। जब्त किए गए इंजेक्शन की गुणवत्ता पर भी सवाल है, जिससे उसकी जांच कराई जा रही है।
पकड़े गए आरोपियों में अहमदाबाद के निकोल गांव निवासी मयूर दूधात (२५), निकोल रसपान सर्कल के पास रहने वाली निधि गोस्वामी और हिम्मतनगर निवासी विपुल गोस्वामी शामिल हैं।
क्राइम ब्रांच को सूचना मिली थी कि निकोल निवासी मयूर इंजेक्शन की कालाबाजारी कर रहा है। उससे डमी ग्राहक बनकर क्राइम ब्रांच ने संपर्क किया। पहले तो उसने एक इंजेक्शन के २५ हजार और उसके बाद के लिए ३५ हजार रुपए मांगे। फिर इंजेक्शन की वॉयल में प्रवाही कम होने से उसने 12 हजार में इंजेक्शन देने की तैयारी जताई। आरोपी को जाल बिछाकर निकोल सरदार मॉल के पास ५ इंजेक्शनों के साथ पकड़ लिया। पूछताछ में उसने बताया कि उसने ये इंजेक्शन निधि के पास से खरीदे हैं, जिससे निधि के मकान में दबिश देकर वहां से पाउडर फॉर्म में वॉयल में थोड़े प्रवाही वाले सात इंजेक्शन बरामद किए गए। सिरिन तथा स्टेरिल वॉटर की खाली डब्बी भी बरामद की। निधि की पूछताछ में सामने आया कि उसने इसे हिम्मतनगर आशीर्वाद हॉस्पिटल के विपुल गोस्वामी के पास से खरीदे हैं। जिससे सूचना के आधार पर विपुल को भी हिम्मतनगर से पकड़ लिया।
ड्रग इंस्पेक्टर की प्राथमिक जांच में इसकी गुणवत्ता पर सवाल उठे हैं। जिससे इसकी गुणवत्ता की जांच कराई जा रही है। जब्त किए गए इंजेक्शन मूल पावडर फॉर्म में हैं, लेकिन इनके पास से मिला इंजेक्शन का प्रवाही और उसकी मात्रा कम है। ये पाउडर फॉर्म का इंजेक्शन स्टराइल वॉटर से मिलाकर चार घंटे में उपयोग में लेना होता है, लेकिन इंजेक्शन का प्रवाही काफी पुराना है, यानि चार घंटे से ज्यादा समय पहले इसे मिला लिया गया होने की आशंका है, जो शरीर के लिए हानिकारक हो सकता है।