कोरोना से जुड़़ी संज्ञान याचिका पर अपने आदेश में मुख्य न्यायाधीश विक्रमनाथ व न्यायाधीश जे बी पारडीवाला की खंडपीठ ने कहा कि अक्सर यह देखा जा रहा है कि अहमदाबाद शहर में पुरुष, महिलाएं, लडक़े-लड़कियां शाम ढले घूमने-फिरने निकल जाते हैं। इनमें से ज्यादातर लोग मास्क नहीं पहने होते हैं। दुर्भाग्य यह है कि ये समाज के पढ़े-लिखे लोग हैं। कोरोना के नियमों की पालना नहीं होती है। ऐसा शायद अन्य शहरों में भी होता होगा। यदि ऐसा चलता रहा तो हम इस महामारी से कभी नहीं उबर सकेंगे।
खंडपीठ ने कहा कि अब हम सभी को कुछ प्रोग्रेसिव सोचना होगा न कि हमें कोरोना के पीछे भागना होगा। इसलिए राज्य सरकार की ओर से जारी दिशा निर्देशों का पालन जरूरी है।
खंडपीठ ने कहा कि अब हम सभी को कुछ प्रोग्रेसिव सोचना होगा न कि हमें कोरोना के पीछे भागना होगा। इसलिए राज्य सरकार की ओर से जारी दिशा निर्देशों का पालन जरूरी है।
हाईकोर्ट ने इसे दुभाग्र्यपूर्ण और दुखद बताते हुए कहा कि राज्य सरकार की ओर से कोरोना से लडऩे के लिए जारी किए गए दिशानिर्देश की जिम्मेदारी राजनीतिक दलों, नेताओं और उनके छोटे-मोटे कार्यकर्ताओं की भी है। यह नेताओं का फर्ज है कि वे आम लोगों का नेतृत्व करे और वे कोरोना से लडऩे के लिए नियमों का उल्लंघन नहीं करें। यदि नेेता ही कोरोना से जुड़े नियमों का अमल नहीं करेंगे तो जनता के बीच गलत संदेश जाएगा और लोग भी इन नियमों का अमल नहीं करने को प्रेरित होंगे।