2 महीने की अवधि में विभिन्न घरों में 550 से अधिक राशन किट वितरित की गई थी। यह पहुँच अहमदाबाद के हॉलीवुड बस्ती – गुलबाई टेकरा, बॉम्बे होटल– बापूनगर, दाणीलिमडा, वाडज, वटवा, जुहापुरा, गोता और बेहरामपुरा क्षेत्रों में कई झुग्गियों में थी। इन क्षेत्रों में रहने वाले आईआईएमए के सुरक्षा गार्डों की मदद से ये वितरण कार्य किए गए। इनमें 30 से अधिक स्वयंसेवक,कई नागरिक और कुछ सिविल मंडलियाँ- आसमान फाउंडेशन, द रॉबिन हुड आर्मी और अन्य लोग भी शामिल रहे। स्वयंसेवकों ने मास्क, दस्ताने, सैनिटाइजऱ का उपयोग करके अपनी सुरक्षा सुनिश्चित बनाए रखी और सामाजिक दूरी भी बनाए रखी। जिन स्थानों पर प्रत्यक्ष राशन किट की आपूर्ति नहीं की जा सकी है, वहाँ पैसा या तो परिवारों के खातों में सीधे हस्तांतरित किया जाता था या इसे पास के राशन की दुकान में दिया जाता था, जहाँ से परिवार फिर मुफ्त में राशन प्राप्त कर सकते थे। लगभग 2.3 लाख रुपए लोगों को इस तरह से सहायता करने के लिए सीधे घरों में भेजे गए थे।
लॉकडाउन के दो दिनों के भीतर, स्वयंसेवकों ने सामुदायिक कार्यकर्ता एज़ाज शेख की मदद से उन कामगारों के समूहों को खोज निकाला जा सके, जहां प्रवासी श्रमिक बिना किसी भोजन या आय के फंसे हुए थे और परिवारों की मदद के लिए धन जुटाने में समर्थन किया। शहर के पूर्वी हिस्से (गोमतीपुर, रखियाल, बापूनगर, सरसपुर, अमराईवाड़ी, बेहरामपुरा, वटवा) में 252 से अधिक परिवारों को खोज निकाला गया और स्थानीय पुलिस की मदद से उन्हें धन मुहैया कराया गया। इन प्रयासों के कारण लगभग 4000 श्रमिकों के लिए सामुदायिक रसोई का निर्माण हुआ और जनविकास, इन्फोएनालिटिका फाउंडेशन और अहमदाबाद परियोजना द्वारा समर्थित किया गया। आईआईएम टीम ने इन स्थानों को जियो-टैग करने के बैक-एंड काम करने में मदद की, क्योंकि स्वयंसेवकों ने व्हाट्सएप पर सूचना दी, जिससे 45 दिनों तक हर दिन पकाया हुआ भोजन वितरित करना आसान हो गया। टीम ने नारोल स्थित झारखंड के 90 मजदूरों के लिए एक सामुदायिक रसोईघर स्थापित करने में मदद की और एक महीने तक उन्हें भोजन उपलब्ध कराया गया।
टीम ने ऐसे परिवारों की स्थिति को समझने और परिवर्तनों के अनुकूल रणनीतियों को संशोधित करने के लिए इस दौरान 2 और सर्वेक्षण किए। टीम प्रवासियों को आसानी से पारित कराने के लिए लॉकडाउन मुक्ति पास बनाने में, पंजीकरण कराने में, डाटा को डिजिटाइज्ड कराने में तथा गुजरात सरकार एवं झारखंड सरकार से समन्वय बनाने में भी शामिल रही। टीम ने अब तक लगभग 800 लोगों को ट्रेन टिकट, बस टिकट के लिए पैसा और निजी परिवहन की व्यवस्था करने में सहायता की है। टीम ने 112 प्रवासी श्रमिकों (बिहार तथा झारखंड से) की यात्रा के लिए लगभग 5 लाख रुपए बटोरने का काम किया। कुल लगभग 14 लाख रुपए विभिन्न चैनलों के माध्यम से पूरे काम के लिए एकत्र किए गए।