जिले के उद्योग-धंधे व कारोबार आरम्भ हो गए हैं, लेकिन श्रमिकों की कमी से रफ्तार नहीं पकड़ सके हैं। यहां बिहार, उत्तरप्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र, उड़ीसा, पश्चिम बंगाल, झारखंड, उत्तराखंड, हरियाणा सहित पूरे देश की श्रमिक शक्ति लगी हुई है। श्रमिकों की कमी से उद्यमी लाचार हैं। लॉकडाउन के दौरान मजदूर लौट जाने से उद्योग परिसरों में किराए की चाल, कमरे और सोसायटियों से आबादी कम हो गई। कोरोना महामारी को देखते हुए कई उद्योगपतियों ने तो अपने मजदूरों को दीपावली तक छुट्टी दे दी थी। अनलॉक में उद्योग, कल-कारखाने व संस्थान चलने लगे तो श्रमिकों की कमी बड़ी परेशानी बनी हुई है।
लेबर कांट्रेक्टरों के कार्यालय खुले
मजदूरों की सप्लाय के लिए उद्योगपति व कारोबारी लेबर कांट्रेक्टरों की सेवा ले रहे हैं। उद्योग, होटल, इमारत निर्माण, सरकारी कार्य, ईंट भट्टा, सुरक्षा एजेंसी, प्राइवेट संस्थान, बागान सहित लगभग सभी क्षेत्र लेबर कांक्ट्रेक्टरों पर आश्रित होते दिख रहे है। उद्योगों में श्रमिक, ऑपरेटर, गार्ड, ड्राइवर आदि पहले से ठेकेदारों के मार्फत काम करते हैं। कल-कारखानों में मिक्सिंग, प्रोसेस, फिनिशिंग, पैकिंग, लोडिंग-अनलोडिंग पर श्रमिक ठेकेदारों का कब्जा रहा है। उद्योग, कारखाने, होटल, प्रतिष्ठानों में सिक्युरिटी गार्ड की नियुक्ति कांट्रेक्टरों के मार्फत हो रही है। ठेकेदारों के पास अधिकांश मजदूर पंजीकृत नहीं हैं। कई ठेकेदार श्रम प्रवर्तन विभाग से लाइसेंस प्राप्त किए बिना खुलेआम मजदूरों का सौदा कर रहे हैं।