कोरोना के चलते मरीज घर के कमरे में अकेला हो जाता है। ऐसे में उसकी मनोदशा भी बिगड़ती है। अवसाद घेरने लगता है। इससे वह उबर सके इसलिए प्रोजेक्ट संवाद शुरू किया है। सुबह 10 से रात नौ बजे तक काउंसर खुद कोरोना मरीज को फोन करता है। उसकी काउंसिलिंग करता है, जरूरत पडऩे पर मनोचिकित्सकों से भी बात कराता है। पहले ही दिन 100 मरीजों से बात की गई। बुजुर्गों की भी नियमित सुध ले रहे हैं। चाहे वे संक्रमित हुए हैं या नहीं। उन्हें जीवन जरूरी वस्तुएं लाने में भी मदद की जा रही है। उद्देश्य विपदा की इस घड़ी में कोरोना मरीजों-बुजुर्गों की मदद करना है।
-वीरेन्द्र सिंह यादव, पुुलिस अधीक्षक, अहमदाबाद ग्राम्य