कोरोना संक्रमितों की अंत्येष्टि में बरती जाती है संवेदनशीलता
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गांधीनगर. कोरोना संक्रमितों (corona pandemic) की मृत्यु होने पर भी उनके शरीर में वायरस (virus) होता है, जिससे अन्य लोगों में भी वायरस संक्रमण (virus pandemic) हो सकता है। इसके चलते ही कोरोना संक्रमितों की अंत्येष्टि के लिए स्टाण्डर्ड ऑपरेटिंग सिस्टम (SOP) निर्धारित की गई है। गुजरात का स्वास्थ्य विभाग (health deparment) कोरोना संक्रमितों की अंत्येष्टि की प्रक्रिया में पूर्णत: संवेदनशीलता बरतती है, जिसमें निर्धारित मानकों को अपनाया जाता है।
ऐसे की जाती है कोरोना संक्रमितों की अंत्येष्टि
अहमदाबाद के सिविल अस्पताल परिसर में कोरोना डेडिकेटेड 1200 बेड अस्पताल (dedicated hospital) में पिछले आठ माह से जब भी किसी कोरोना संक्रमित की मौत होती है तो उसकी अंत्येष्टि में निर्धारित प्रक्रिया का पालन किया जाता है। जब कोरोना संक्रमित की मौत होती है तो वॉर्ड की चिकित्सक टीम डेथ स्लीप (कागजात) तैयार करते हैं जिसमें मरीज की प्राथमिक जानकारी, मृत्यु का कारण, मृत्यु का समय और तिथि समेत ब्योरा लिखा जाता है। बाद में शव को जंतुरहित करने के लिए ग्राउण्ड फ्लोर पर ए-0 ब्लॉक में डेड बोडी डिस्पोजल क्षेत्र में तैनात मुख्य चिकित्सा अधिकारी को फोन के जरिए सूचित किया जाता है।
ग्राउण्ड फ्लोर के ए-0 वॉर्ड में एक मेडिकल अधिकारी और अहमदाबाद महानगरपालिका में 24 घंटे ड्यूटी पर तैनात एक अधिकारी हो उनके मार्गदर्शन में प्रक्रिया पूर्ण की जाती है। कोरोना संक्रमित को चिकित्सक जब मृत घोषित करते हैं तो संबंधित दो कर्मचारी जो संबोधित वॉर्ड में होते हैं वे स्टे्रचर या ट्रॉली पर लेकर शव पहुंचते हैं। बाद में शव और उसके आसपास सेनेटाइजेशन किया जाता है।
जब शव लेकर कर्मचारी वॉर्ड में पहुंचते हैं तब तक डेड बॉडी डिस्पोजेबल क्षेत्र में ड्यूटी पर तैनात अधिकारी को मृतक के केस का ब्योरा, रजिस्ट्रेशन नंबर और संपर्क नंबर समेत ब्योरा मोबाइल पर वॉट्स एप के जरिए भेज दिया जाता है। यदि कोरोना संक्रमित की मौत वेन्टीलेटर पर हुई हो तो उनके शरीर की नलियां निकाल दी जाती हैं ताकि शव से होने वाले रिसाव को रोका जा सके। शव को स्ट्रेचर पर रखने के बाद बेड को सेनेटाइजिंग किया जाता है। वॉर्ड बॉय अथवा अन्य स्टाफ शव को स्ट्रेचर पर स्थानांतरित करता है। बाद में शव को ब्लॉक ए-0 से ग्राउण्ड फ्लोर में निर्धारित लिफ्ट नंबर 7 और रास्ते से ले जाया जाता है। इस प्रक्रिया के दौरान एक व्यक्ति जहां -जहां से शव ले जाया जाता है उसे सेनेटाइज करता है। बाद में शव को बोडी बैग में रखा जाता है, जिसमें मरीज का ब्योरा और कोविड-19 चिन्हित टैग लगाया जाता है। फिर शव को श्मशानगृह भेजा जाता है। मृतक के परिजनों को भी सरकारी दिशा-निर्देशों और पूर्ण सावधानी से अंत्येष्टि करने से पहले शव देखने की मंजूरी दी जाती है, जिसमें पारदर्शी बैग से मृतक के चेहरा दिखाया जाता है। इस प्रक्रिया के दौरान मरीज के परिजनों को संक्रमण से बचने की सामग्री दी जाती है।
बाद में अहमदाबाद महानगर पालिका की ओर से तैयार डेड बॉडीवैन में अंत्येष्टि के लिए शव श्मशान गृह ले जाया जाता है, जिसमें मरीज के परिजन और वॉर्ड बॉय होते हैं। कोरोना संक्रमित के शव की निकाल प्रक्रिया में एक से डेढ़ घंटे का समय लगता है।
यह प्रक्रिया समझाते हुए सिविल अस्पताल के अधीक्षक डॉ. जे.पी. मोदी ने कहा कि सिविल अस्पताल में 1200 बेड के अस्पताल में शवों के निपटारे को लेकर अलग-अलग कक्ष बनाए गए हैं, जिसमें जरूरी सुविधाएं उपलब्ध हैं। साथ ही डिस्पोजेबल रूम में कार्यरत मुख्य चिकित्सा अधिकारी और उनकी टीम की ओर से सुचारू संचालन किया जा रहा है। डेड बोडी डिस्पोजेल क्षेत्र को नियमित तौर पर सेनेटाइज किया जाता है। यदि मृतक के परिजन को अस्पताल में पहुंचने में विलम्ब हो तो शव को वाानुकूलित कक्ष में रखा जाता है।
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