बिगड़ी आर्थिक हालत, संक्रमण का खतरा बड़ी वजह
डिम्पल शाह बताती हैं कि ज्यादातर लोग फोन कर कहते हैं कि कोरोना महामारी को 22 महीने हो गए हैं। नौकरी चली गई। धंधा चौपट हो गया। बिगड़ी आर्थिक स्थिति ने घर का बजट बिगाड़ दिया है। ऐसे में बुजुर्गों को संक्रमण लगने का खतरा ज्यादा रहता है। यदि वे संक्रमित होते हैं तो दवाईयों का खर्चा भी वे उठा सकें ऐसी स्थिति में नहीं हैं। उनके जरिए बच्चों और परिजनों को भी संक्रमण लग सकता है क्योंकि लोगों के घर भी छोटे हैं। ऐसे में बच्चों-बुजुर्गों को साथ रखने में दिक्कत हो रही है। बच्चों को बाहर रख नहीं सकते जिससे बुजुर्गों को वे वृद्धाश्रम में भेजने पर उतारू हैं। बुजुर्ग पहले घर से बाहर जाकर गार्डन में बैठते थे तो तरोताजा रहते थे, लेकिन अब वे भी 22 महीनों से लगभग घर में कैद हैं। ऐसे में जनरेशनगेप, मतभेद के चलते भी झगड़े बढ़ रहे हैं।
डिम्पल शाह बताती हैं कि ज्यादातर लोग फोन कर कहते हैं कि कोरोना महामारी को 22 महीने हो गए हैं। नौकरी चली गई। धंधा चौपट हो गया। बिगड़ी आर्थिक स्थिति ने घर का बजट बिगाड़ दिया है। ऐसे में बुजुर्गों को संक्रमण लगने का खतरा ज्यादा रहता है। यदि वे संक्रमित होते हैं तो दवाईयों का खर्चा भी वे उठा सकें ऐसी स्थिति में नहीं हैं। उनके जरिए बच्चों और परिजनों को भी संक्रमण लग सकता है क्योंकि लोगों के घर भी छोटे हैं। ऐसे में बच्चों-बुजुर्गों को साथ रखने में दिक्कत हो रही है। बच्चों को बाहर रख नहीं सकते जिससे बुजुर्गों को वे वृद्धाश्रम में भेजने पर उतारू हैं। बुजुर्ग पहले घर से बाहर जाकर गार्डन में बैठते थे तो तरोताजा रहते थे, लेकिन अब वे भी 22 महीनों से लगभग घर में कैद हैं। ऐसे में जनरेशनगेप, मतभेद के चलते भी झगड़े बढ़ रहे हैं।
बेमन से आते हैं वृद्धाश्रम
वृद्धाश्रम न्यासी डिम्पल शाह के अनुसार बुजुर्ग वृद्धाश्रम में आ तो जाते हैं,लेकिन उनका मन घर पर ही लगा रहता है। उन्हें हर समय उनके नाती, पोतों, बच्चों की चिंता सताती रहती है। ऐसे में वृद्धाश्रम में उनका ध्यान रखने के लिए परामर्शकों की मदद ली जाती है। हालांकि यहां उनके जैसे और लोग होते हैं, जिससे कुछ दिन में वे उनसे घुल मिल जाते हैं, लेकिन घर घर होता है। वृद्धाश्रम घर नहीं बन सकता। चाहे कितनी भी सुविधाएं दे दी जाएं।
वृद्धाश्रम न्यासी डिम्पल शाह के अनुसार बुजुर्ग वृद्धाश्रम में आ तो जाते हैं,लेकिन उनका मन घर पर ही लगा रहता है। उन्हें हर समय उनके नाती, पोतों, बच्चों की चिंता सताती रहती है। ऐसे में वृद्धाश्रम में उनका ध्यान रखने के लिए परामर्शकों की मदद ली जाती है। हालांकि यहां उनके जैसे और लोग होते हैं, जिससे कुछ दिन में वे उनसे घुल मिल जाते हैं, लेकिन घर घर होता है। वृद्धाश्रम घर नहीं बन सकता। चाहे कितनी भी सुविधाएं दे दी जाएं।
