अहमदाबाद. राजस्थान और गुजरात की मरूभूमि में पाया जाने वाला नागफनी (कैक्टस) का फल कोरोना महामारी के काल में उपचार को लेकर वरदान साबित हो सकता है। अगर ये दवाई संभव हो गई तो यह पौधा राजस्थान और गुजरात के किसानों की तकदीर भी बदल लेगा।
गुजरात टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी (जीटीयू) के फार्मेसी विभाग के एक प्रोफेसर ने नागफनी के इस फल से शोध कर दवा बनाई है। हेमपोइन नामक यह दवा शरीर के अंदर कोशिकाओं में वायरस का संक्रमण रोकने से बचाता है। इसके बाजवूद यदि वायरस शरीर में प्रवेश कर चुका है तो इसे फैलने से भी रोकने में यह दवा कारगर सिद्ध होगी।
गुजरात टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी (जीटीयू) के फार्मेसी विभाग के एक प्रोफेसर ने नागफनी के इस फल से शोध कर दवा बनाई है। हेमपोइन नामक यह दवा शरीर के अंदर कोशिकाओं में वायरस का संक्रमण रोकने से बचाता है। इसके बाजवूद यदि वायरस शरीर में प्रवेश कर चुका है तो इसे फैलने से भी रोकने में यह दवा कारगर सिद्ध होगी।
इस दवा की शोध करने वाले प्रोफेसर संजय चौहान ने बताया कि कोरोना की स्थिति में यह दवा काफी सफल साबित हो सकती है। उन्होंने कहा कि कोरोना के संक्रमण में मरीज का श्वेत रक्त कण (डब्ल्यूबीसी) और लाल रक्त कण (आरबीसी) कम होने के साथ-साथ हिमोग्लोबिन भी कम हो जाता है। रक्त की ऑक्सीजन वहन करने की क्षमता कम होने लगती है वैसी स्थिति में ये दवा काम में आती है। इससे रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है।