राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता कमल त्रिवेदी और लोक अभियोजक मनीषा लव कुमार ने दलील दी कि हाईकोर्ट की ओर से की गई टिप्पणी से आम लोगों के दिमाग में सिविल अस्पताल को लेकर गलत बातें अंकित होंगी। दोनों ने यह भी कहा कि पत्र में कोई तथ्य नहीं है। हाईकोर्ट के मुताबिक रेसिडेन्ट डॉक्टर के पत्र के मुद्दों को लेकर राज्य सरकार को एक समिति गठित करनी चाहिए। यह समिति पूरी तरह निष्पक्ष हो जिसमें कोई भी सदस्य सरकारी अधिकारी नहीं हो और किसी भी रूप से सिविल अस्पताल से जुड़ा हुआ नहीं हो।