उन्होंने कहा कि पिछले तीन महीने से इसे लेकर शोध कार्य चल रहा था। उनके पास दवा बनकर तैयार है। अब इस दवा के क्लीनिकल ट्रायल के लिए सरकार से मंजूरी मागी गई है। उन्होंने इस दवा के पेटेंट के लिए भी आवेदन किया है। उन्होंने बताया कि इससे पहले कैक्टस के इस फल की बनी दावा एनीमिया (रक्ताल्पता) के रोगियों के लिए काम में आ रही है।
इस संबंध मेंं जीटीयू के कुलपति प्रो. डॉ नवीन शेठ ने बताया कि कोरोना के समय में पूरी दुनिया इस महामारी को लेकर इलाज में लग गई है। ऐसे में भारतीय औषधि विज्ञान व अपने आयुर्वेद के पौराणिक ग्रंथों से भी उसका जवाब मिल सकता है। इन परिस्थितियों में जीटीयू के फार्मेसी विभाग ने इस पर शोध किया गया है। इससे देश की सेवा करने का प्रयत्न किया गया है। उम्मीद है जल्दी क्लीनिकल ट्रायल की मंजूरी मिल जाएगी।