मुख्यमंत्री विजय रूपाणी के इस आह्वान पर ‘मेरा गांव, कोरोना मुक्त गांवÓ अभियान सिर्फ तीन दिनों में ही अच्छी प्रतिक्रिया मिली है। राज्य की 248 तहसीलों की 14,246 ग्राम पंचायतों में 10 हजार से अधिक सामुदायिक कोविड केयर सेंटर कार्यरत हो गए हैं। राज्य के गांवों में बने इन सामुदायिक कोविड केयर सेंटरों में कुल 1 लाख 5 हजार से अधिक बेड की व्यवस्थाएं की गई हैं।
मुख्यमंत्री ने राज्य के सभी गांवों में स्कूल परिसर, सामाजिक भवनों, खाली पड़े बड़े मकानों, मंडलियों और पंचायत घर जैसी जगहों में जरूरत पडऩे पर आइसोलेशन सेंटर या कोविड केयर सेंटर शुरू करने और उसमें सर्दी, खांसी और सामान्य बुखार जैसे लक्षण वाले ग्रामीणों को आइसोलेट करने की अपील की थी।
यही नहीं, ऐसे आइसोलेशन सेंटर या कोविड केयर सेंटर में रहने वाले लोगों के रहने-खाने तथा विटामिन-सी, एजिथ्रोमाइसिन, पैरासिटामॉल जैसी मानक दवाइयों की व्यवस्था की जिम्मेदारी गांव के अग्रणी और युवाओं को उठाने का आह्वान भी उन्होंने किया था। गांवों को कोरोना मुक्त बनाने के साथ-साथ गांव में सर्दी, बुखार और खांसी जैसे सामान्य लक्षण वाले ऐसे ग्रामीण जिनके पास आइसोलेशन में रहने की सुविधा नहीं है, उन्हें ऐसे सामुदायिक कोविड केयर सेंटर में भोजन, आवास, मानक दवाइयों, आयुर्वेदिक काढ़ा तथा पल्स ऑक्सीमीटर एवं थर्मामीटर जैसी मूलभूत स्वास्थ्य सुविधाओं के साथ आइसोलेशन में यानी अलग रखने की भी उन्होंने अपील की थी।
हर गांव में बन रही हैं कमेटियां इस अपील के चलते ग्रामीण स्तर पर सरकारी स्कूल, सामुदायिक हॉल, सामाजिक भवन, छात्रावास या सरकारी इमारत जैसे स्थलों का उपयोग कर जिला विकास अधिकारी के मार्गदर्शन में तहसील विकास अधिकारी और गांव के प्रमुख अग्रणियों की एक 10 सदस्यीय कमेटी का गठन कर जनभागीदारी से ज्यादा से ज्यादा सामुदायिक कोविड केयर सेंटर शुरू किए जा रहे हैं।
इन 10,320 सामुदायिक कोविड केयर सेंटरों की यदि बात करें तो इसके अंतर्गत डांग जैसे दुर्गम आदिवासी क्षेत्र में 1242 बेड की सुविधा वाले 83 सेंटरों से लेकर उत्तर गुजरात के सीमावर्ती क्षेत्र बनासकांठा में 6400 बेड की सुविधा के साथ 897 सामुदायिक कोविड केयर सेंटर शुरू किए गए हैं।