अहमदाबाद

हत्थे चढ़े एटीएम से छेड़छाड़ कर रुपए निकालने वाले शातिर

मशीन से रुपए निकलते ही बंद करते थे पावर सप्लाई, पाते रिफंड

अहमदाबादJan 19, 2018 / 09:32 pm

Nagendra rathor

अहमदाबाद. क्राइम ब्रांच के साइबर सेल ने दो ऐसे शातिर युवकों को धर दबोचा है,जो एटीएम से रुपए निकलते ही उसमें छेड़छाड़ करके बैंक में शिकायत कर रिफंड भी पा लेते थे।
इस तरकीब से बैंकों को चूना लगाने वाली यह गैंग 26 दिसंबर को अहमदाबाद में एक वारदात को अंजाम दे चुकी है। नारोल के एक्सिस बैंक एटीएम से दस हजार रुपए निकाले फिर एटीएम में छेड़छाड़ की और शिकायत करके बैंक से दस हजार का रिफंड भी पा लिया।
एक्सिस बैंक के मैनेजर की ओर से इस मामले में 15 जनवरी को दी गई शिकायत पर कार्रवाई करते हुए साइबर सेल पीआई जे.एस.गेडम की टीम ने नारोल गांव तलावड़ी से दो युवकों को पकड़ा है। अपने आप में यह पहला मामला है।
गिरफ्तार आरोपियों में हरियाणा के मेवात जिले के मुन्धेता निवासी अफसरअली खान (१९), नूरहसन खान (१९) शामिल हैं। इनके पास से दो मोबाइल, अलग अलग बैंक के १७ डेबिट कार्ड, दो बैंक पासबुक जब्त की हैं। अफसरअली ड्राइविंग का काम करता है। उस डेबिट कार्ड को भी जब्त किया है, जिससे एक्सिस बैंक से १० हजार रुपए निकाले थे।
पावर बंद करने से नहीं हो पाई एंट्री
आरोपियों ने २६ दिसंबर को एसबीआई बैंक के डेबिट कार्ड का उपयोग करके नारोल एक्सिस बैंक से दस हजार निकाले थे। जैसे ही रुपए मशीन से बाहर निकले आरोपियों ने रुपए हाथ में लेकर मशीन की पावर सप्लाई बंद कर दी। जिससे सिस्टम में निकलने वाले रुपए की एंट्री नहीं हो पाई।
आरोपियों ने एसबीआई के टोलफ्री नंबर पर कॉल सेंटर में एटीएम से रुपए नहीं निकल पाए होने की शिकायत की, जिस पर एसबीआई बैंक ने एक्सिस बैंक से नियमानुसार एक्सिस बैंक से रुपए रिफंड लिए। फिर आरोपी के खाते में १० हजार रुपए रिफंड हो गए।
इस बीच मुंबई ऑफिस से एक्सिस बैंक की स्थानीय शाखा को जानकारी दी गई कि जिस समय १० हजार रुपए निकाले गए ठीक उसी समय मशीन में छेड़छाड़ भी की थी, जिससे रुपए निकल गए, लेकिन एंट्री नहीं हो पाई।
किराए पर लेते डेबिटकार्ड
आरोपियों की पूछताछ में सामने आया कि आरोपी अपने मित्रों के पास से उनके बैंक के डेबिटकार्ड किराए पर लेते थे। इसके लिए वह डेबिटकार्ड के धारक को एक हजार रुपए का किराया देते थे। चूंकि छेड़छाड़ करके वह राशि निकालते और रिफंड पा लेते थे, जिससे खाता धारक के खाते से मूल राशि गायब नहीं होती थी। ऊपर से एक हजार रुपए भी मिल जाते थे।
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