घंटे तय करके नहीं, मन लगे तब तक करो पढ़ाई, इंस्टीट्यूट के स्टडी मटीरियल से ही करो तैयारी
अहमदाबाद. सीएस फाउंडेशन प्रोग्राम में देश के टॉप-२५ विद्यार्थियों में अपना नाम दर्ज कराने में सफल रहने वालीं अहमदाबाद की टॉपर्स छात्राओं ने अपनी सफलता के टिप्स बताए हैं। उन्होंने कहा कि सीएस में सफलता के लिए जब तक मन लगे तब तक पढ़ाई करनी की जरूरत है, ना कि घंटे तय करके पढ़ाई करने की। इंस्टीट्यूट के स्टडी मटीरियल के आधार पर भी परीक्षा की तैयारी करनी चाहिए। जितना संभव हो उतना पिछली परीक्षाओं के प्रश्नों को हल करों इससे काफी मदद मिलती है।
हर दिन करो रिवीजन : रुकईयादाहोद जिला निवासी सीएस की पढ़ाई के लिए मां के साथ अहमदाबाद रह रहीं रुकईया शाकिर ने देश में १४वीं रैंक पाई है। वह बताती हैं कि सफलता के लिए जरूरी है कि इंस्टीट्यूट में या ट्यूशन क्लासेज में जितना भी पढ़ो उसका उसी दिन रिवीजन करो। इंस्टीट्यूट मटीरियल से तैयारी करो। सफलता मिलेगी। पिता टेक्सटाइल इंजीनियर हैं। परिवार के जीजा सीए हैं उनसे भी मार्गदर्शन मिला। एक से लेकर 12वीं तक मध्यम छात्रा रहीं। पहली बार रैंक आई है। अहमदाबाद में अव्वल रहने सेखुशी है।
कोचिंग बिना भी रैंक संभव: स्तुतिदेश में 15वीं रैंक पाने वाली स्तुति कौशिक बताती हैं कि कोचिंग के बिना भी रैंक लानी संभव है। जरूरत है कि समर्पण के साथ पढ़ाई करो। उन्होंने स्मार्ट तरीके से पढ़ाई की। उलझन हुई तो कॉलेज के प्राध्यापक से पूछ लिया। ओमान में 12वीं तक पढऩे वालीं फिलहाल जीएनएलयू से बीए-एलएलबी कर रहीं हैं। आगे चलकर जज बनना चाहती हैं। नहीं तो कोर्पोरेट जॉब करेंगीं। भारत नाट्यम सीखी हैं। पिता निजी कंपनी में जीएम हैं। मां शिक्षिका।
पुराने पेपर करो हल: जहान्वीदेश में १८वीं रैंक पाने वालीं राजस्थान के
उदयपुर में धानकी मंडी के पास माहेश्वरी की शहेरी की मूल निवासी जहान्वी कालानी बताती हैं कि उन्होंने दिन में चार से पांच घंटे पढ़ाई करके रैंक पाई है। इंस्टीटयूट के स्टडी मटीरियल से तैयारी की और ज्यादा से ज्याता पुराने प्रश्नृ-पत्र हल किए। जिससे काफी मदद मिली। पिता व्यापारी हैं। मां गृहिणी हैं। परिवार में कोई सीए या सीएस नहीं है। आगे चलकर एमबीए भी करना है। जिससे डिग्री मिलने के साथ अनुभव भी मिलेगा। माता-पिता का सहयोग काफी अच्छा रहा। दसवीं से ही उसे पहले सीए बनने की इच्छा थी। 12वीं करने पर लॉ में रुचि जगी और सीएस की अहमियत भी पता चली जिससे सीएस कर रही हैं।
कल पर ना छोड़ो पढ़ाई: रियाराजस्थान के राजसमंद जिले के गजपुर गांव निवासी रिया कोठारी ने देश में १९वीं रैंक पाई है। रिया बताती हैं कि फाउंडेशन में सफलता के लिए जरूरी है कि इंस्टीट्यूट में और क्लासेज में जो भी पढ़ा है उन विषय व चेप्टर को उसी दिन फिर से अच्छी तरह से पढ़ो। कोई भी चेप्टर कल पर ना छोड़ो। ताकि बैकलॉग ना बढ़े। पुराने पेपर जरूर हल करो। पिता व्यापारी हैं। परिवार में कोई सीए या सीएस नहीं है। उन्हें लॉ में रुचि होने के चलते सीएस बनना पसंद किया।
इंस्टीट्यूट मॉड्यूल को बनाएं आधार : उर्वीराजस्थान के बांसवाड़ा में सुभाषनगर की मूल निवासी और अहमदाबाद में पेइंग गेस्ट (पीजी) में रहकर सीएस की तैयारी कर रहीं छात्रा उर्वी माली ने देश में २३वीं रैंक पाई है। उर्वी बताती हैं कि वह जिस क्षेत्र और समुदाय से आती हैं उसमें छात्राओं को ज्यादा पढ़ाने का चलन नहीं है। लेकिन उनके परिवारवालों के सपोर्ट के चलते वह यहां रहकर पढ़ाई कर रही हैं। वह खुश हैं कि पहली बार में उन्होने फाउंडेशन न सिर्फ पास किया बल्कि रैंक भी लाने में सफलता पाई। तीन सौ से ज्यादा अंक लाने की अपेक्षा थी। पिता व्यापारी हैं मां गृहिणी। मध्यम वर्गीय परिवार से हैं। इंस्टीट्यूट के मॉड्यूल से और पुराने पेपरों को हल करके तैयारी करें। सफलता मिलेगी। डांस का शौक है।
जब तक लगे मन तब तक करो पढ़ाई: अंजलीराजस्थान के बांसवाड़ा के भारतनगर की मूल निवासी अहमदाबाद में पीजी में रहकर सीएस की पढ़ाई कर रहीं अंजली ने देश में २४वीं रैंक पाई है। उन्होंने ४०० में से ३२४ अंक पाकर अहमदाबाद में नौवीं रैंक पाई।
वह बताती हैं कि वह जिस समुदाय और क्षेत्र से आती हैं। उसमें भी छात्राओं को ज्यादा पढ़ाने का चलन नहीं है। लेकिन परिवारवालों के सहयोग के चलते वह अहमदाबाद में अकेले रहकर पढ़ाई कर रही हैं। खुश हैं कि परिवारवालों की अपेक्षा पूरी करने की दिशा में आगे बढ़ रही हैं। रैंक की अपेक्षा नहीं थी। लेकिन ३०० से ज्यादा अंक की उम्मीद थी। परिणाम आया और पिता को फोन करके जब यह बात बताई तो उन्होंने पहले ही बधाई दे दी। यह पहल उनके लिए भावुक था। अंजली बताती हैं कि दिन में पांच-छह घंटे की भी गुणवत्तायुक्त पढ़ाई काफी है। बशर्त जब तक मन लगे तब तक समझते हुए उसे पढ़ा जाए। घंटे तय करके पढ़ाई नहीं करनी चाहिए।
मां का सपना है सीएस बनूं: नेहलबोटाद के पास मोटादहीसरा गांव की रहने वाली नेहल कोठारी ने देशमें २४वीं रैंक पाई है। वह बताती हैं कि वह जिस गांव से आती हैं वहां पर छात्राओं को ज्यादा नहीं पढ़ाया जाता। उनकी मां भावना बेन ने परिवार वालों से झगड़ा करके उसे इंग्लिश मीडियम स्कूल में पढ़ाया। वह चाहती हैं कि मैं पढ़ूं। सीएस बनूं। उनके सपने के लिए अहमदाबाद में पीजी में रहकर पढ़ाई कर रही हूं। पिता का सहयोग है। परिणाम आया परिवार को बताया तो सभी खुश हैं। वह बताती हैं कि ऑनलाइन टेस्ट दें, दिन में नौ से दस घंटे पढ़ाई की है।
मां के लिए सीएस, पिता के लिए सीए बनना है: रिया हरवानीमहेसाणा के विजापुर कीरहने वाली रिया हरवानी बताती हैं कि मां लाजवंती की इच्छा है कि मैं सीएस बनूं और पिता नरेशभाई की सीए बनाने की है। दोनों की इच्छा पूरी करनी है। सीएस फाउंडेशन में रैंक लाने में सफलता पाई है। दिन में छह से सात घंटे पढ़ाई की। यूसीमास में देश में नाम कमा चुकी हैं। रिया बताती हैं कि मन लगे तब तक पढ़ाई करनी चाहिए।
तनावमुक्त होकर करो पढ़ाई: अपर्णादेश में 21वीं रैंक पाने वालीं अपर्णा कन्नप्पन बताती हैं कि वह तनावमुक्त होकर पढ़ाई करने की सलाह देंगीं। उन्होंने भी तनावमुक्त होकर पढ़ाई की। इसके लिए उन्होंने इंस्टीट्यूट की कोचिंग क्लास जॉइन की ना कि प्राइवेट। यहां बेहतर मार्गदर्शन मिला। पिता सीए हैं। आगे चलकर एलएलबी करनीहै।