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बैंककर्मी बन ओटीपी जानी, धन्यवाद कहकर रखा फोन, खाते से 20 हजार पार

locationअहमदाबादPublished: Sep 16, 2018 11:11:07 pm

एकाउंटेट बना साइबर अपराधियों का शिकार
 

cyber cell

बैंककर्मी बन ओटीपी जानी, धन्यवाद कहकर रखा फोन, खाते से 20 हजार पार

अहमदाबाद. साइबर अपराधियों की शातिर चाल में फंसकर राजस्थान मूल के एक एकाउंटेट ने २० हजार रुपए गंवा दिए। आरोपियों ने एसबीआई क्रेडिट कार्ड का कर्मचारी बनकर फोन किया।

बिग बाजार के 10-10 हजार रुपए के दो कूपन देने का लालच दिया। फिर एकाउंटेंट से उसके क्रेडिट कार्ड के अंतिम ४ अंक जाने और थोड़ी ही देर बाद फोन करके ओटीपी (वन टाइम पासवर्ड) भी जान लिया। जैसे ही एकाउंटेंट ने दो ओटीपी का नंबर बताया वैसे ही शातिर ठग ने धन्यवाद कहते हुए फोन रख दिया। इसके थोड़ी ही देर में एक के बाद एक करके दो बार में २० हजार रुपए क्रेडिटकार्ड के जरिए पार कर दिए।
अहमदाबाद के साइबर सेल में इस बाबत वस्त्राल निवासी धनेश टांक ने शनिवार को प्राथमिकी दर्ज कराई है। मूलरूप से राजस्थान के चूरू जिले के सरदार गांव निवासी धनेश फिलहाल अहमदाबाद में करीब पांच सालों से एक निजी कंपनी में एकाउंटेंट हैं। उनके साथ यह घटना मार्च महीने में हुई।
उन्होंने रेलवे टिकट खरीदने के लिए एसबीआई का क्रेडिटकार्ड आईआरसीटीसी के लिए लिया है। इसमें २५ हजार रुपए की क्रेडिट लिमिट बांधी है। इसका उपयोग धनेश रेलवे की टिकटों के लिए ही करते थे। २० मार्च की दोपहर को धनेश को ठग ने एसबीआई क्रेडिट कार्ड विभाग से बोल रहे होने की बात कहकर विश्वास में लिया। क्रेडिटकार्ड के अंतिम चार नंबर और फिर ओटीपी जानकर धन्यवाद कहा और खाते से २० हजार पार कर दिए। दस-दस हजार करके दो बार में रुपए निकाले। ठगी का शिकार होने पर धनेश ने क्रेडिटकार्ड ब्लॉक करा दिया और साइबर सेल शिकायत भी दी थी।
उन्होंने रेलवे टिकट खरीदने के लिए एसबीआई का क्रेडिटकार्ड आईआरसीटीसी के लिए लिया है। इसमें २५ हजार रुपए की क्रेडिट लिमिट बांधी है। इसका उपयोग धनेश रेलवे की टिकटों के लिए ही करते थे। २० मार्च की दोपहर को धनेश को ठग ने एसबीआई क्रेडिट कार्ड विभाग से बोल रहे होने की बात कहकर विश्वास में लिया। क्रेडिटकार्ड के अंतिम चार नंबर और फिर ओटीपी जानकर धन्यवाद कहा और खाते से २० हजार पार कर दिए। दस-दस हजार करके दो बार में रुपए निकाले। ठगी का शिकार होने पर धनेश ने क्रेडिटकार्ड ब्लॉक करा दिया और साइबर सेल शिकायत भी दी थी।
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