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गुजरात में सबसे ज्यादा साइबर क्राइम के मामले अहमदाबाद में

locationअहमदाबादPublished: Mar 14, 2021 08:48:29 pm

Submitted by:

Pushpendra Rajput

पिछले पांच वर्षों में 1869 साइबर क्राइम के मामले. cyber crime, Gujarat news, acussed, arrested, cyber cell, police

गुजरात में सबसे ज्यादा साइबर क्राइम के मामले अहमदाबाद में

गुजरात में सबसे ज्यादा साइबर क्राइम के मामले अहमदाबाद में

गांधीनगर. गुजरात में सबसे ज्यादा साइबर क्राइम के मामले अहमदाबाद में सामने आए। वहीं पिछले वर्षों की बात की जाए तो 1869 साइबर क्राइम के मामले दर्ज हुए। विधानसभा में बजट सत्र के दौरान जमालपुर-खाडिया के विधायक इमरान खेड़ावाला के गुजरात में अहमदाबाद, वडोदरा, राजकोट और सूरत में साइबर क्राइम के सवाल पर जवाब में राज्य सरकार ने यह जानकारी दी।
सदन में राज्य सरकार की ओर से पेश आंकड़ों के मुताबिक पिछले पांच वर्षों में अहमदाबाद में 940 साइबर क्राइम के मामले हुए, जिसमें वर्ष 2015 में 20, वर्ष 2016 में 71, वर्ष 2017 में 112, वर्ष 2018 में 228, वर्ष 2019 में 175 और वर्ष 2020 में 334 मामले दर्ज हुए।
जबकि राजकोट में 65 साइबर क्राइम मामले सामने आए, जिसमें वर्ष 2015 में 4, वर्ष 2016 में 7, वर्ष 2017 में 7, वर्ष 2018 में 18, वर्ष 2019 में 10 और वर्ष 2020 में 19 मामले दर्ज किए गए। इसी तरह सूरत में 686 साइबर क्राइम के मामले दर्ज हुए, जिसमें वर्ष 2015 में 10, वर्ष 2016 में 61, वर्ष 2017 में 110, वर्ष 2018 में 154, वर्ष 2017 में 230 और वर्ष 2020 में 121 साइबर क्राइम के मामले दर्ज किए गए।
वडोदरा में पिछले पांच वर्षों में 178 साइबर क्राइम के मामले दर्ज किए गए, जिसमें वर्ष 2015 में 9, वर्ष 2016 में 62, वर्ष 2017 में 15, वर्ष 2018 में 20, वर्ष 2019 में 27और वर्ष 2020 में 45 साइबर क्राइम के मामले दर्ज हुए।
वहीं साइबर क्राइम के मामलों में पिछले पांच वर्षों में अहमदाबाद में जहां 1504 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया। वहीं राजकोट में 89, सूरत में 443, और वडोदरा में 210 आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है, लेकिन जहां अहमदाबाद में 139 आरोपी अभी भी फरार है। वहीं राजकोट में 14, सूरत में 152 और वडोदरा में 27 आरोपियों को गिरफ्तार नहीं किया जा सका।
आरोपियों को पकडऩे के लिए की कवायद

सदन में पेश जवाब में कहा गया है कि आरोपियों को पकडऩे के लिए तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है। साथ ही बैंकों की भी मदद ली जाती है। आरोपियों को पकडऩे के लिए ड्राइव भी चलाई गईं। लोग साइबर क्राइम का शिकार नहीं बने इसके लिए जागरुक किया जाता है, जिसमें बैनर-पोस्टरों और सोशल मीडिया के जरिए सचेत रहने के लिए आगाह किया जाता है। वहीं अनजान व्यक्तियों का फोन आने पर ओटीपी या पासवर्ड या अन्य कोई जानकारी नहीं देने के लिए समझाया जाता है।
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