साक्षी शर्मा : संयुक्त राष्ट्र में आपनेपाकिस्तान को आतंकी देश बताया, लेकिन फिर भी वह आतंकी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। इसका क्या समाधान है?जवाब: जब भी कोई देश दूसरे देश के साथ शत्रु भाव रखता है तब दो स्तरों -कूटनीतिक व सामरिक-पर कदम उठाया जाता है। उन्होंने विश्व के सबसे बड़े मंच पर पाकिस्तान की करतूतों के कारण आंतकी देश बताया, जो कूटनीतिक स्तर पर सबसे बेहतर कदम था। वहीं भारत सामरिक स्तर पर सर्जिकल स्ट्राइक से भी नहीं चूका। इसलिए पाकिस्तान के खिलाफ दोनों स्तर पर कार्रवाई की गई।
योगिनी: परिवार और काम के बीच संतुलन कैसे रखा जाए?
जवाब: 25 वर्ष में मैंने राजनीति में प्रवेश किया। सबसे कम उम्र में कैबिनेट मंत्री बनी। बाद में मां भी बनी। तब मुझे भी लगता था कि कैसे संतुलन रखूं, लेकिन अच्छे समय प्रबंधन से ऐसा संभव हो सका। परिवार का सहयोग भी जरूरी है। इसके लिए परिवार को गुणवत्ता पूर्ण समय दिया जाना चाहिए। पति को पत्नी चाहिए कोई मंत्री नहीं। उसी तरह बच्ची को भी मां चाहिए। ऑफिस में वहां का ध्यान रखें।
आयशा खंभातवाला : तीन तलाक को सामाजिक मुद्दा बनाने में 70 वर्ष का समय क्यों लगा दिया?
जवाब: इसे खत्म करने में 70 साल नहीं, बल्कि 1300 साल लग गए। यह माइंडसेट है। यह वोट बैंक की राजनीति के साथ जुड़ा हुआ मुद्दा था। अब तक इसे वोट बैंक की राजनीति से जोड़ा जाता था। मुस्लिम समाज के सुधारक इसे खत्म कर सकते थे। हिन्दू समाज में सती प्रथा को राजा राम मोहन राय ने खत्म किया, बाल विवाह के खिलाफ स्वामी दयानंद सरस्वती ने अभियान चलाया वहीं विधवा पुनर्विवाह को लेकर अभियान चलाया। मुस्लिम समाज में तीन तलाक के मुद्दे पर यह कहा जाता था कि यह शरिया का सवाल है, लेकिन इस मुद्दे पर मुस्लिम बहनों को राहत मिली है।
मीनाबेन परमार: महिलाओं को समान अधिकार कब मिलेगा?
जवाब: यह लड़ाई फिल्म दंगल से लेकर चुनावी दंगल तक चल रही है। फिल्म दंगल में एक सीन काफी जोरदार है जिसमें पिता कहता है कि बेटा तू जरूर जीतेगी। इस मैच में तू सिर्फ सामने वाली प्रतिद्वंद्वी से नहीं लड़ रही है, तू उन जैसी लाखों बेटियों के लिए लड़ रही हैं जो अपनी बेटियों को बेटे से कम आंकते हैं,तब तू इस मैच में जीतेगी। महिलाओं को समान अधिकार को लेकर बहुत कुछ सफलता प्राप्त की गई है, लेकिन अभी बहुत काम बाकी है।
जितनी असमानता का शिकार उनसे पहले की पीढ़ी को करना पड़ा उतना उन्हें नहीं करना पड़ा। इस असामनता का शिकार हमारी नई पीढ़ी को भी नहीं करना पड़ेगा। यह असमानता के अधिकार वाला प्रश्न खत्म हो जाएगा। माइंडसेट बदलना होगा।
ट्वीटर पर प्रिया पंडया : जब देश भर में इतनी सारी समस्याएं हैं तो ऐसे में क्या हमें बुलेट ट्रेन पर इतना पैसा खर्च करना चाहिए?
जवाब: क्या बुलेट ट्रेन नहीं आएगी तो सभी समस्याओं का समाधान हो जाएगा? जमाने के साथ-साथ देश को आगे बढऩा होता है।
रिपोर्ट : उदय पटेल