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जामनगर : रेसिडेंट डॉक्टर ने किया प्लाज्मा दान

locationअहमदाबादPublished: Jul 10, 2020 12:50:01 am

Submitted by:

Gyan Prakash Sharma

जामनगर के सरकारी जी. जी. अस्पताल में प्लाज्मा स्वीकार करने की प्रक्रिया शुरू
 

जामनगर : रेसिडेंट डॉक्टर ने किया प्लाज्मा दान

जामनगर : रेसिडेंट डॉक्टर ने किया प्लाज्मा दान

जामनगर. कोरोना संक्रमित मरीजों को बचाने के लिए जामनगर के सरकारी जी जी अस्पताल में प्लाज्मा थेरेपी का उपयोग किया जाएगा। इसके तहत गुरुवार देर शाम अस्पताल के रेसिडेंट डॉक्टर प्रियांक बत्रा ने प्लाज्मा दान किया। अस्पताल के सूत्रों की मानें तो सौराष्ट्र के अस्पतालों में संभवत: इस थेरेपी से उपचार करने वाला यह पहला अस्पताल बना है।

अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉक्टर दीपक तिवारी ने चिकित्सक बत्रा की सराहना की। उन्होंने कहा कि अस्पताल से स्वस्थ होकर गए कोरोना के मरीजों को प्लाज्मा दान करने के लिए आगे आना चाहिए। इस अस्पताल के ब्लड बैंक में प्लाज्मा स्वीकार करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। इससे कोरोना के क्रिटिकल मरीजों को बचाने में सहायता मिलेगी।

प्लाज्मा डोनेट करने वाले डॉक्टर बत्रा ने बताया कि पिछले 2 महीनों से कोरोना के मरीजों का उपचार करते हुए वे खुद भी इसकी चपेट में आ गए थे। इसके पश्चात उन्हें इसी अस्पताल में दाखिल कराया गया था। माइल्ड सिम्पटमेटिक होने के पश्चात कुछ दिनों से वह स्वस्थ हैं। इसके पश्चात उन्होंने प्लाज्मा डोनेट करने का फैसला किया।

उनके अनुसार प्लाज्मा डोनेट करने से किसी भी तरह की कमजोरी नहीं आती है। इसके अलावा किसी अन्य तरह का संक्रमण भी नहीं होता है। इस प्रक्रिया में कोई परेशानी भी नहीं होती है। सामान्य रक्तदान जैसे ही प्लाज्मा दान भी किया जा सकता है। कोरोना संक्रमित मरीज ठीक होने के 28 दिनों के पश्चात प्लाज्मा दान कर सकते हैं। इसमें 18 से 60 वर्ष तक का व्यक्ति प्लाज्मा दान कर सकता है। इससे कोरोना के गंभीर मरीजों को बचाने में मदद मिलेगी। इस प्रक्रिया में एक से लेकर डेढ़ घंटे का समय लगता है। इसमें सभी उपकरणों का सिंगल यूज किट का उपयोग किया जाता है।
डोनर १५ दिन बाद फिर डोनेट कर सकता है प्लाज्मा

इसके तहत प्लाज्मा डोनेट करने वाले व्यक्ति के शरीर से जो भी रक्त लिया जाता है उसमें से प्लाज्मा को अलग कर शेष रक्त वापस संबंधित व्यक्ति के शरीर में वापस चला जाता है। इस तरह से डोनर 15 दिनों के बाद फिर से प्लाज्मा डोनेट कर सकता है। इस प्रक्रिया में संबंधित व्यक्ति के शरीर से 500 मिलीलीटर प्लाज्मा लिया जा सकता है। इस दौरान आईसीएमआर और एनबीटीसी की गाइड लाइन का पूरा ध्यान रखा जाता है। कोरोना मुक्त हुए मरीजों मैं एंटीबॉडी तेजी से विकसित होता है। इसलिए इनके शरीर से लिए गए प्लाज्मा का कोरोना से पीडि़त गंभीर मरीजों पर ज्यादा असर होता है।
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