scriptGujarat Heavy Rain Video : इन जगहों पर भारी बारिश से नदी-नालों में आया उफान | Due to heavy rains, there was a boom in the rivers and streams | Patrika News

Gujarat Heavy Rain Video : इन जगहों पर भारी बारिश से नदी-नालों में आया उफान

locationअहमदाबादPublished: Aug 19, 2022 01:06:16 pm

Submitted by:

Binod Pandey

सिंचाई के लिए निश्चिंत हुए उत्तर गुजरात के किसान
पालनपुर-आबू राष्ट्रीय राजमार्ग पर अभी भी पानी भरा
वाहनों का आवागमन अवरुद्ध, पानी की निकासी शुरू

Gujarat Heavy Rain : इन जगहों पर भारी बारिश से नदी-नालों में आया उफान

Gujarat Heavy Rain : इन जगहों पर भारी बारिश से नदी-नालों में आया उफान

पालनपुर. बनासकांठा जिले में गुरुवार को लगातार पांचवें दिन भी बारिश की वजह से पालनपुर – आबू रोड राष्ट्रीय राजमार्ग पानी से लबालब भर गया है। इससे वाहनों का आवागमन अवरुद्ध हो गया है। किसकी स्थिति देखने के लिए पालनपुर ग्रामीण क्षेत्र के तहसीलदार खुद मौके पर पहुंचे और स्थिति का अध्ययन किया। राजमार्ग से पानी की निकासी के लिए पंप लगाए गए हैं और पानी को लिफ्टिंग कर राष्ट्रीय राजमार्ग को पूर्ववत किए जाने का प्रयास शुरू कर दिया गया है।
लगातार बारिश होने की वजह से जिले की धानेरा तहसील के निचले क्षेत्रों के ग्रामीण इलाकों में भी चारों तरफ पानी भर गया है। धानेरा के तहसील विकास अधिकारी के मार्गदर्शन में मार्ग और मकान पंचायत विभाग की ओर से पुलिस की उपस्थिति में पानी की निकासी की जा रही है। इससे ग्रामीण भी काफी खुश हैं। धानेरा तहसील के बापला से आलवाड़ा गांव को जोडऩे वाले मार्ग पर पूरी तरह से पानी घर गया था। इससे दोनों गांवों का संपर्क अवरुद्ध हो गया था। इस मामले को गंभीरता से लेते हुए तहसील प्रशासन ने त्वरित कार्रवाई करते हुए यहां से पानी की निकासी करा कर मार्ग को फिर से चालू करा दिया है । दोनों गांवों के बीच फिर से आवागमन बहाल हो गया है। जिले की लाखणी तहसील के मोटा कापारा गांव में पानी भरने से ग्रामीण काफी परेशान थे। तहसीलदार यहां पर अपनी उपस्थिति में पानी की निकासी का काम करा रहे हैं। पानी के तेज बहाव से क्षतिग्रस्त हुए दांतीवाडा ब्रिज के मरम्मत का काम तेजी से कराया जा रहा है। जिले के दियोदर क्षेत्र में पिछले दो दिनों से मूसलाधार बारिश हो रही है। इससे पूरे क्षेत्र में पानी भर गया है। इस क्षेत्र के सभी निचले गांवों में पानी भरा हुआ है। तेज बारिश की वजह से गांवों के निचले क्षेत्रों के घरों में पानी भर गया है।
धरोई डैम से पानी छोडऩे से मंदिर डूबा
हिम्मतनगर. फिलहाल धरोई डैम पूरी तरह से पानी से भर चुका है। इस वजह से डैम से काफी मात्रा में पानी साबरमती नदी में छोड़ा जा रहा है। इसलिए साबरमती नदी के आसपास के निवासियों के लिए अलर्ट घोषित कर दिया गया है। नदी के किनारे स्थित सप्तेश्वर महादेव मंदिर का कुंड और गर्भगह में पानी भर गया है।
लोगों से सुरक्षित स्थानों पर जाने की अपील
लगातार पानी की आवक बढऩे की वजह से साबरमती नदी के दोनों किनारों के आसपास रहने वाले लोगों के लिए अलर्ट घोषित कर दिया गया है। प्रशासन ने अपील की है कि नदी के किनारे आने वाले लोग किसी भी आपदा से बचने के लिए सुरक्षित स्थानों पर चले जाएं। नदी में जिस तरह से लगातार पानी की आवक हो रही है उससे कई इलाके डूब के क्षेत्र में आ सकते हैं। किसी तरह की अनहोनी से पूर्व भी लोग सुरक्षित स्थानों पर चले जाएं और नदी के किनारे से दूर ही रहें।
साबरमती नदी का जलस्तर बढ़ा
साबरकांठा जिले की इडर तहसील के ऊपरी क्षेत्रों से अभी भी पानी की आवक हो रही है। इस वजह से साबरमती नदी का जलस्तर बढ़ता जा रहा है। दूसरी तरफ धरोई डैम से भी साबरमती नदी में पानी छोड़ा जा रहा है। इस वजह से इडर के सप्तेश्वर मंदिर का आधार हिस्सा पानी में डूब गया है। यदि इसी तरह से पानी की आवक बढ़ती गई तो पूरा मंदिर नदी में डूब सकता है। मंदिर का हाल देखने के लिए यहां पर भक्तों की भीड़ उमड़ रही है, यदि पानी की आवक अचानक बढ़ जाती है तो इन भक्तों की जान को भी जोखिम हो सकता है।
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धरोई डैम लबालब, लोगों में खुशी का माहौल
मेहसाणा. उत्तर गुजरात के 6 जिलों के 20 लाख लोगों को वर्ष भर पीने की पानी की आपूर्ति और किसानों को फसलों की सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध कराने वाले धरोई डैम में पानी का इतना संग्रह हो चुका है जिससे कि वर्ष भर इन लोगों को अन्य स्रोतों पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा।
धरोई डैम की जल संग्रह क्षमता 28716 एमसीएफटी है। राज्य सरकार ने इस डैम का निर्माण इसलिए कराया था कि अहमदाबाद, गांधीनगर,मेहसाणा, बनासकांठा, साबरकांठा और पाटण जिले के निवासियों को पीने की पानी की इससे कमी नहीं होगी। धरोई डैम से 98 हजार हेक्टेयर खेत में सिंचाई के लिए पानी की आपूर्ति की जा सकती है। लेकिन वर्तमान में 48 हजार हेक्टेयर खेतों में यहां से पानी उपलब्ध कराया जाता है। डैम में जब क्षमता से ज्यादा पानी भर जाता है तो यहां से साबरमती नदी में पानी छोड़ा जाता है। इसीलिए धरोई डैम को उत्तर गुजरात के निवासी अपनी जीवन रेखा समझते हैं।
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