हिम्मतनगर. फिलहाल धरोई डैम पूरी तरह से पानी से भर चुका है। इस वजह से डैम से काफी मात्रा में पानी साबरमती नदी में छोड़ा जा रहा है। इसलिए साबरमती नदी के आसपास के निवासियों के लिए अलर्ट घोषित कर दिया गया है। नदी के किनारे स्थित सप्तेश्वर महादेव मंदिर का कुंड और गर्भगह में पानी भर गया है।
लोगों से सुरक्षित स्थानों पर जाने की अपील
लगातार पानी की आवक बढऩे की वजह से साबरमती नदी के दोनों किनारों के आसपास रहने वाले लोगों के लिए अलर्ट घोषित कर दिया गया है। प्रशासन ने अपील की है कि नदी के किनारे आने वाले लोग किसी भी आपदा से बचने के लिए सुरक्षित स्थानों पर चले जाएं। नदी में जिस तरह से लगातार पानी की आवक हो रही है उससे कई इलाके डूब के क्षेत्र में आ सकते हैं। किसी तरह की अनहोनी से पूर्व भी लोग सुरक्षित स्थानों पर चले जाएं और नदी के किनारे से दूर ही रहें।
साबरमती नदी का जलस्तर बढ़ा
साबरकांठा जिले की इडर तहसील के ऊपरी क्षेत्रों से अभी भी पानी की आवक हो रही है। इस वजह से साबरमती नदी का जलस्तर बढ़ता जा रहा है। दूसरी तरफ धरोई डैम से भी साबरमती नदी में पानी छोड़ा जा रहा है। इस वजह से इडर के सप्तेश्वर मंदिर का आधार हिस्सा पानी में डूब गया है। यदि इसी तरह से पानी की आवक बढ़ती गई तो पूरा मंदिर नदी में डूब सकता है। मंदिर का हाल देखने के लिए यहां पर भक्तों की भीड़ उमड़ रही है, यदि पानी की आवक अचानक बढ़ जाती है तो इन भक्तों की जान को भी जोखिम हो सकता है।
मेहसाणा. उत्तर गुजरात के 6 जिलों के 20 लाख लोगों को वर्ष भर पीने की पानी की आपूर्ति और किसानों को फसलों की सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध कराने वाले धरोई डैम में पानी का इतना संग्रह हो चुका है जिससे कि वर्ष भर इन लोगों को अन्य स्रोतों पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा।
धरोई डैम की जल संग्रह क्षमता 28716 एमसीएफटी है। राज्य सरकार ने इस डैम का निर्माण इसलिए कराया था कि अहमदाबाद, गांधीनगर,मेहसाणा, बनासकांठा, साबरकांठा और पाटण जिले के निवासियों को पीने की पानी की इससे कमी नहीं होगी। धरोई डैम से 98 हजार हेक्टेयर खेत में सिंचाई के लिए पानी की आपूर्ति की जा सकती है। लेकिन वर्तमान में 48 हजार हेक्टेयर खेतों में यहां से पानी उपलब्ध कराया जाता है। डैम में जब क्षमता से ज्यादा पानी भर जाता है तो यहां से साबरमती नदी में पानी छोड़ा जाता है। इसीलिए धरोई डैम को उत्तर गुजरात के निवासी अपनी जीवन रेखा समझते हैं।