इस पर श्रोताओं की तालियों से पाण्डाल गूंज उठा। अज्म शाकिरी ने ‘जख्म जो तुम ने दिया वो इसलिए रखा हरा, जिंदगी में क्या बचेगा जख्म भर जाने के बाद सुनाकर श्रोताओं का दाद लूटी।
शकील आजमी ने ‘अब मो मर जाता है रिश्ता ही बुरे वक्तों पर, पहले मर जाते थे, रिश्तों को निभाने वाले व अकील नोमानी ने ‘दर्दे सर में भी अजब लज्जत थी, कोई बैठा था सिराहने मेरे मेरे सुनाकर तालियां बटोरी।
नसीम नकहत ने ‘हमारे चेहरे के दागों पे तंज करते हो, हमारे पास भी आइना है दिखाएं क्या ताहिर फराज ने ‘जो मिला उससे गुजारा न हुआ, जो हमारा था हमारा ना हुआ सुनाकर श्रोताओं की वाह-वाही लूटी।
इनके अलावा शायर हसीब सोज, शमीम अहसनी, बरकत जाहिबी ने भी कलाम पेश किए।
मुशायरे में मुख्य अतिथि पर्यटन, कला, संस्कृति व पुरातत्व विभाग के संयुक्त शासन सचिव भगवानसहाय शर्मा थे। विशिष्ट अतिथि उपखण्ड अधिकारी डॉ. सूरजसिंह नेगी, पूर्वटोंक रियासत के नवाब आफताब अली खां, वक्फ बोर्ड टोंक के चेयरमैन मोहम्मद अहमद, मोईनुद्दीन, मोहम्मद अली, जुनेद असलम, जेबा खान, इकबाल हसन जुगनू, अनवर अली, हामिद अली, अख्तर सुलेमान थे।मुशायरे का संचालन मंसूर उस्मानी ने किया।