अहमदाबाद. गरीब व मध्यमवर्ग की महिलाओं और किशोरियों के स्वास्थ्य को
ध्यान में रखकर गुजरात में पहली बार ईको फ्रेंडली (पर्यावरण के अनुकूल) पैड तैयार किए जाएंगे। शहर की एक स्वैच्छिक संस्था ने सेनेटरी नेपकिन के निर्माण की यूनिट शुरू की है। संस्था का दावा है कि इस विशेष तरह की नैपकिन को बनाने के लिए केले के पत्ते और लकड़ी के बुरादे का उपयोग होगा। इसकी कीमत ढाई रुपए रखी गई है।
गरीब एवं श्रमजीवी परिवार की महिलाओं के स्वास्थ्य और स्वच्छता के स्तर को ऊंचा ले जाने के उद्देश्य से शुभ्रा प्रियमवदा फाउंडेशन नामक संस्था ने सस्ते में पैड उपलब्ध कराने का बीड़ा उठाया है। संस्था की अधिकारी स्मिता मुर्मू ने बताया कि खासकर ग्रामीण इलाकों में अधिकांश महिलाएं मासिक स्राव के दिनों में कपड़े का उपयोग करती हैं। जिससे उनका स्वास्थ्य खराब होने की आशंका बढ़ जाती है। इस तरह की महिलओं में संक्रमण लगने का डर बना रहता है। बाजार में उपलब्ध होने वाले पैड को हरेक महिला वहन नहीं कर पाती। लगभग दस रुपए में सेनेटरी नेपकिन या पैड मिलता है। इसके विपरीत अब अब ढाई रुपए में ही पैड उपलब्ध होगा। उनका दावा है कि वनस्पति से निर्मित यह पैड पूरी तरह से हाईजेनिक और वातावरण के अनुकूल है। इसे प्लास्टिक रहित बताया। इस तरह के पैड को बनाने के लिए केले के पत्ते और लकड़ी के बुरादे का उपयोग किया गया है। इस तरह के पैड गुजरात में पहली बार बनाए जाने का भी दावा किया है। उनका कहना है कि निर्माण कार्य किए जाने के बाद इस तरह के सेनेटरी पैड सरलता से उपलब्ध हो सकें इस उद्देश्य से स्कूल मैनजमेंट तक पहुंचाए जाएंगे। गांवों में गरीब महिलाओं को उपलब्ध कराने पर भी विचार किया जा रहा है।
इस यूनिट को कॉपर बनाने वाली एक कंपनी ने मदद की है। कंपनी के उपाध्यक्ष एस.एन.शर्मा का कहना है कि गरीब और मध्यम वर्ग की महिलाएं और किशोरियों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखकर यह मदद की गई है। शुक्रवार को शहर के आसारवा क्षेत्र में खास सेनेटरी नेपकिन बनाने की इकाई शुरू हुई है। उद्घाटन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में गुजरात सरकार के मुख्य सचिव डॉ. जे.एन. सिंह की पत्नी मीनासिंह मौजूद रहीं।