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कला और संगीत के बिना शिक्षा व जीवन अधूरा : जयदीप दास

locationअहमदाबादPublished: Apr 30, 2019 12:20:04 am

Submitted by:

Rajesh Bhatnagar

केवीएस के कला शिक्षकों की पहली बार अहमदाबाद संभाग में कला प्रदर्शनी, 21 कला शिक्षकों की 40 से अधिक कलाकृतियां प्रदर्शित

Inaugration of Art Exhibition

कला और संगीत के बिना शिक्षा व जीवन अधूरा : जयदीप दास

अहमदाबाद. केंद्रीय विद्यालय संगठन (केवीएस) के अहमदाबाद संभाग के उपायुक्त जयदीप दास ने कहा कि कला हमारे जीवन का अभिन्न अंग है, कला और संगीत के बिना शिक्षा व जीवन अधूरा है। वे वस्त्रापुर स्थित केवी अंतरिक्ष उपयोग केंद्र (सेक) के निर्देशन में तीन दिवसीय प्रदर्शनी का यहां रविशंकर रावल कला भवन में सोमवार को उद्घाटन करने के बाद मुख्य अतिथि के तौर पर बोल रहे थे।
केवीएस के कला शिक्षकों की पहली बार अहमदाबाद संभाग में आयोजित हो रही प्रदर्शनी में अहमदाबाद संभाग के अधीन गुजरात के केवी के 21 कला शिक्षकों की 40 से अधिक कलाकृतियां प्रदर्शित की गई हैं। उपायुक्त ने कहा कि खुशी शिक्षा का मूल तत्त्व है, कोई ऐसी शिक्षा जिसमें खुशी नहीं मिलती, जिसमें आमोद-प्रमोद ना हो, जिसमें सुक्षुप्ता है, नीरसता है तो वह बहुत आगे तक नहीं ले जा सकती। केंद्रीय विद्यालयों में कला, संगीत, नृत्य, सामाजिक कार्य, खेलकूद आदि का मिश्रण जीवन में होना चाहिए। एक सामान्य व्यक्ति के जीवन में भी कला का महत्व है।
उन्होंने कहा कि हर बच्चे में एक कलाकार छिपा हुआ है, उस कला को जब तक हम नहीं उभारेंगे तब तक वह अच्छा इंसान नहीं बन सकता। बड़े शहरों और दूरस्थ अंचलों में भी केवी में ऐसी प्रदर्शनी आयोजित करने के प्रयास किए जाएंगे। केवी के बच्चों के किए हुए ढेरों काम कई बार अलमारियों में बंद रहते हैं, उन्हें प्रदर्शित नहीं कर पाते। स्कूलों में डिस्प्ले बोर्ड इतने सीमित हैं कि उन पर सारा काम दिखा नहीं सकते। अगर कोई स्वयंसेवी संस्था (एनजीओ) आगे आकर बच्चों के काम को डिस्प्ले करे तो बच्चों के लिए बड़ी उपलब्धि होगी।
उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्तर की स्पद्र्धाओं में केवी के बच्चे अपने चित्र भेजते हैं और कई बच्चे स्वर्ण पदक, नकद पुरस्कार, प्रमाण-पत्र प्राप्त करते हैं। केवी के बहुुत-से बच्चे प्रतिभावान हैं, शिक्षक भी प्रतिभावान हैं। कला शिक्षक अनुभवी हैं, बहुत अच्छा काम कर सकते हैं। केवी का विचार है कि बच्चों में कला शिक्षा, संगीत, नृत्य और खेल-कूद को भी उतना ही महत्व दिया जाए, जितना महत्व गणित, विज्ञान, अन्य भाषाओं व विषयों को देते हैं।
शिक्षकों व विद्यार्थियों का मौलिक सृजन हो : नटुभाई

विशिष्ट अतिथि विख्यात चित्रकार व चित्र विवेचक नटुभाई पारीख ने कहा कि जब तक हमारा सृजन मौलिक नहीं होगा, क्रिएटिव नहीं होगा, इन्नोवेटिव नहीं होगा तब तक हम शिष्यों को कुछ नया नहीं दे पाएंगे। अगर नेट का माध्यम या कहीं रेफरेंस का उपयोग करके गाइड करेंगे वहीं अगली पीढ़ी हमें मिलेगी। शिक्षकों व विद्यार्थियों का मौलिक सृजन हो। शेठ सी.एन. फाइन आटर््स कॉलेज के प्राचार्य रतिलाल कन्सोदरिया ने कहा कि कंप्यूटर पर अवतरण होते रहते हैं, उनसे कला लुप्त होती जा रही है लेकिन कला शिक्षकों की कला प्रदर्शनी से बहुत कुछ सीखना संभव है।
वार्ता-चित्रकार नलिन ***** ने कहा कि अन्य विद्यालयों में शिक्षकों की कला सूख गई लगती है लेकिन केवी में कला शिक्षकों की कला को राष्ट्रीयस्तर पर पहचान मिल रही है। संगीत और चित्रकला शिक्षकों से ही संस्था का गौरव बढ़ता है, यह दोनों ही शिक्षक की रीढ़ होती है और संस्था के प्रधान इनकी कद्र कर रहे है, यह भी प्रशंसनीय है। पढ़ते-पढ़ते पढ़ा रहे शिक्षक नई पीढ़ी को कला के संस्कार दे सकते हैं। भारतीय डिजाइन संस्थान (एनआईडी) के सिरामिक व ग्लास डिजाइन विभाग की सीनियर फैकल्टी नीलिमा हसीजा, एनआईडी के एनिमेशन विभाग के सेवानिवृत्त विभागाध्यक्ष रमणलाल मिस्त्री, केवीएस के सेवानिवृत्त कला शिक्षक व कार्टूनिस्ट ए.एम. जामी आदि भी मौजूद थे।
इन शिक्षकों की कलाकृतियां

केवीएस के अहमदाबाद संभाग के अधीन गुजरात के केवी के कला शिक्षकों जसवंत चारण, अयुब आई. टिबुरीवाला, नवीनचंद्र के. अमीन, राकेश पटेल, आरिफा मन्सूरी, बी.आर. सोलंकी, सुरेश मकवाणा, प्रवीणा महिचा, विजय पागी, जितेंद्र जे. परमार, मंजलेश मीना, नवलसिंह, आर.एम. सोलंकी, गरिमा व्यास, गिरीश चौरसिया, रजाक एन. मन्सूरी, डॉ. तरुणा माथुर, डॉ. सुरेंद्र कुमार कुमावत, अंशिका शर्मा, कृष्णा नाग, दीपशिखा वैष्णव की कलाकृतियां प्रदर्शित की गई हैं।
कला प्रेमियों व विभिन्न विद्यालयों के विद्यार्थियों के लिए आगामी 1 मई तक सवेरे 10 से शाम 7 बजे तक खुली रहने वाली प्रदर्शनी में कला शिक्षकों ने वाटर कलर, एक्रिलिक कलर, ऑयल कलर, सिपोरेक्स प्राकृतिक वनस्पति जन्य रंगों का उपयोग कर कलाकृतियां प्रदर्शित की हैं। केवी सेक के विद्यार्थियों ने संगीत शिक्षिका कृष्णा इंजीनियर के निर्देशन में राजी फिल्म का गीत ‘लगन की बाजी है चोट भी ताजी है’ प्रस्तुत किया। प्रदर्शनी की मार्गदर्शिका व केवी सेक की प्राचार्या जेमी जेम्स ने स्वागत भाषण दिया। नवीनचंद्र के. अमीन ने अंत में आभार जताया। डॉ. तरुणा माथुर ने संचालन किया।
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