कई बार आरबीआई के चक्कर लगा चुके इस दंपत्ति ने अब अपने खून-पसीने की कमाई को पाने के लिए गुजरात उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है। उच्च न्यायालय ने इस मामले में आरबीआई व केन्द्र को नोटिस जारी किया है।
मुख्य न्यायाधीश आर. सुभाष रेड्डी व न्यायाधीश वी. एम. पंचोली की खंडपीठ ने मामले की अगली सुनवाई 11 दिसम्बर रखी है। मामले के अनुसार याचिकाकर्ता रश्मिकांत शाह और गीताबेन शाह की ओर से दायर याचिका के मुताबिक दंपत्ति गत वर्ष 21 सितम्बर को अपने पुत्र से मिलने लंदन गए थे। वे इस वर्ष 16 जनवरी को अहमदाबाद लौटे।
इस दौरान 8 नवम्बर 2016 को नोटबंदी के ऐलान हो जाने के कारण 500 और 1000 रुपए के पुराने नोट रद्द कर दिए गए थे। वृद्ध दंपत्ति के लॉकर सहित कुल मिलाकर 47 हजार रुपए के पुराने नोट निकले। आरबीआई के निर्देशानुसार जो व्यक्ति नोटबंदी के दौरान विदेश गए हों, उनके लिए 31 मार्च 2016 तक पुराने नोट बदलवाने की छूट दी गई थी। इसलिए वे पहले गत 3 मार्च को अहमदाबाद स्थित आरबीआई कार्यालय पहुंचे। यहां पर पुराने नोट नहीं बदले जाने की बात कहते हुए दंपत्ति को फॉर्म देकर मुंबई जाने को कहा गया।
याचिका के मुताबिक, यह दंपत्ति आरबीआई के मुंबई स्थित कार्यालय पहुंचा जहां उन्हें दो अलग-अलग फॉर्म भरने को कहा गया। इस प्रक्रिया में समय लगा जिस कारण उन्हें एक दिन मुंबई ठहरना पड़ा। एक फॉर्म में 22 हजार रुपए और दूसरे फॉर्म में 25 हजार रुपए के पुराने नोट की जानकारी दी गई। बैंक की ओर से फॉर्म के जांच तथा केवाईसी अनुपालना के बाद दंपत्ति को रसीद देकर यह कहा गया कि 15 दिनों के भीतर नोट बदल दिए जाएंगे। दंपत्ति के अहमदाबाद लौटने के एक महीने बाद तक उन्हें यह रकम नहीं मिली। दंपत्ति ने पहले टोल फ्री नंबर पर पूछताछ की जिसमें इस महीने, अगले महीने में रकम मिल जाने की बात कही गई, लेकिन इस तरह अब आठ महीने बीत चुके हैं।
रकम नहीं मिलने के कारण दंपत्ति को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। पुराने नोट बदलने के चक्कर में अब तक इस दंपत्ति के जहां 10 से 12 हजार रुपए खर्च हो चुके हैं, वहीं उन्हें शारीरिक कष्ट भी उठाना पड़ा है।
याचिका में कहा गया कि आरबीआई का रवैया बैंक के खुद के अध्यादेश व संविधान का उल्लंघन है। इसमें यह भी मांग की गई है कि आरबीआई को जल्द से जल्द वृद्ध दंपत्ति के खाते में 18 फीसदी ब्याज के साथ रकम, मुंबई आने-जाने का खर्च और कानूनी प्रक्रिया में खर्च भी जमा कराने को कहा गया है।