इन अगरबत्तियों को इन्हीं मंदिरों के समीप बेचा जाता है,जहां से इन फूलों को इकट्ठा किया जाता है। इसके अलावा वे नारियल के छिलके भी इकट्ठा करते हैं। नारियल के छिलके से कुंडा बनाकर बेचते हैं। इस स्टार्ट अप में ज्यादातर मंदिरों एवं पुजारियों का भी सहयोग मिल रहा है।
इस स्टार्टअप के माध्यम से ये दोनों युवक फिलहाल छह लोगों को रोजगार भी मुहैया करा रहे हैं। अर्जुन बताते हैं कि भविष्य में उनकी योजना प्रत्येक मंदिर में एक महिला को रोजगार उपलब्ध कराने की है, जो मंदिरों से फूल इकट्ठा करने के साथ वहां पास में ही अगरबत्ती व अन्य वस्तुओं की बिक्री भी कर सके।
स्मार्टसिटी प्रोजेक्ट के तहत पब्लिक प्राइवेट पार्टर्नशिप(पीपीपी) से शहर को स्वच्छ बनाने के लिए शहर के मंदिरों में चढऩे वाले फूलों को खाद बनाने के लिए दिया जाता है। इससे अच्छी किस्म की खाद बनती है, जो मांग के आधार पर सप्लाई की जाती है। विक्टोरिया गार्डन में इसके लिए जगह दी है।
-विजय नेहरा, मनपायुक्त, अहमदाबाद