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मंदिरों में चढ़े फूलों से महक रहे आंगन, बगिया गुलजार

locationअहमदाबादPublished: May 16, 2019 04:15:39 pm

अहमदाबाद के छात्र बना रहे हैं ऑर्गेनिक खाद व अगरबत्ती, स्वच्छता से जुड़े स्टार्टअप को मनपा व स्टार्टअप विभाग से मदद

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मंदिरों में चढ़े फूलों से महक रहे आंगन, बगिया गुलजार

नगेन्द्र सिंह

अहमदाबाद. शहर के मंदिरों में दर्शन करने जाते समय श्रद्धा भाव के साथ भगवान के चरणों में फूल अर्पित करते हैं, लेकिन इसके बाद आपको मालूम नहीं होता कि इन फूलों के मुरझाने के बाद इसका क्या होता है। अभी तक ये फूल मंदिर की अन्य सामग्री के साथ कचरे की पेटी में चले जाते थे, लेकिन अब यही फूल अहमदाबाद शहर के कई आंगन को महका रहे हैं। इतना ही नहीं, ये फूल शहर के महानगरपालिका संचालित बगीचों को हराभरा भी कर रहे हैं।
आंगन को महकाने और बगीचों को हरा-भरा करने का काम शहर के दो छात्रों- अर्जुन ठक्कर एवं यश भट्ट ने स्टार्ट अप के साथ आरंभ किया है। स्वच्छता से जुड़े इस स्टार्टअप को राज्य सरकार की स्टूडेंट स्टार्टअप एंड इनोवेशन पॉलिसी (एसएसआईपी) विभाग के साथ-साथ अहमदाबाद महानगर पालिका की भी मदद मिल रही है।
इससे पहले ज्यादातर फूल या तो कचरे में फेंक दिए जाते थे या फिर उन्हें रोक के बावजूद भी साबरमती नदी में विसर्जित किया जाता था। ऐसे में नदी में कचरा बढ़ता था और इससेे होने वाला प्रदूषण नदी की मछलियों के लिए खतरनाक साबित हो रहा था। मिकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने वाले अर्जुन एवं यश बताते हैं कि वर्ष २०१७ में सावन के महीने में मंदिरों में बड़ी संख्या में चढऩे वाले फूलों और इन फूलों के कचरे में पड़े होने से उन्हें इन फूलों से खाद बनाने की सूझी। इस विचार को लेकर जब वे दोनों गुजरात इनोवेशन काउंसिल (जीआईसी) पहुंचे तब काउंसिल ने इसे सराहा। साथ ही इस दिशा में ‘ब्रुक्स एंड ब्लूम्सÓ (नदी और फूल) नाम से स्टार्टअप शुरू करने के लिए दो लाख रुपए की मदद भी की। इसके अलावा ऑफिस और जगह भी मुहैया कराई गई।
हर दिन करीब 100 मंदिरों से लेते हैं 1000 किलो फूल

यश बताते हैं कि शहर के पश्चिमी इलाके में करीब 100 मंदिरों और देरासरों में भगवान को चढऩे वाले एक हजार किलोग्राम फूल को सुबह साढ़े पांच से दोपहर 12 बजे के दौरान इकट्ठा करते हैं। इसके लिए अहमदाबाद महानगर पालिका ने दो वाहन और शहर के लाल दरवाजा स्थित विक्टोरिया गार्डन में जगह भी उपलब्ध करवाई है। यहां मशीन की मदद से ऑर्गेनिक खाद, अगरबत्ती बनाने के लिए फूलों को सुखाकर उसका पाउडर बनाते हैं। प्राकृतिक तरीके से प्रोसेस करते हैं, जिससे एक हजार किलोग्राम फूल से महज दस प्रतिशत ही खाद बनती है। इसमें आधी मनपा को देते हैं और आधी अपने पास रखते हैं। अपने पास रखने वाली खाद को नर्सरी व अन्य जगहों पर बेचते हैं। इसके अलावा कुछ फूलों को सुखाने के बाद पाउडर के मार्फत अगरबत्ती बनाते हैं।
इन अगरबत्तियों को इन्हीं मंदिरों के समीप बेचा जाता है,जहां से इन फूलों को इकट्ठा किया जाता है। इसके अलावा वे नारियल के छिलके भी इकट्ठा करते हैं। नारियल के छिलके से कुंडा बनाकर बेचते हैं। इस स्टार्ट अप में ज्यादातर मंदिरों एवं पुजारियों का भी सहयोग मिल रहा है।
छह लोगों को रोजगार भी
इस स्टार्टअप के माध्यम से ये दोनों युवक फिलहाल छह लोगों को रोजगार भी मुहैया करा रहे हैं। अर्जुन बताते हैं कि भविष्य में उनकी योजना प्रत्येक मंदिर में एक महिला को रोजगार उपलब्ध कराने की है, जो मंदिरों से फूल इकट्ठा करने के साथ वहां पास में ही अगरबत्ती व अन्य वस्तुओं की बिक्री भी कर सके।
ताकि स्वच्छ रहे शहर
स्मार्टसिटी प्रोजेक्ट के तहत पब्लिक प्राइवेट पार्टर्नशिप(पीपीपी) से शहर को स्वच्छ बनाने के लिए शहर के मंदिरों में चढऩे वाले फूलों को खाद बनाने के लिए दिया जाता है। इससे अच्छी किस्म की खाद बनती है, जो मांग के आधार पर सप्लाई की जाती है। विक्टोरिया गार्डन में इसके लिए जगह दी है।
-विजय नेहरा, मनपायुक्त, अहमदाबाद
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