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राजकोट के संग्रहालय में पूर्व देशी रजवाड़ों के स्टाम्प पेपर की प्रदर्शनी

locationअहमदाबादPublished: May 18, 2019 11:34:59 pm

Submitted by:

Rajesh Bhatnagar

अंतरराष्ट्रीय संग्रहालय दिवस पर आयोजित…
भारत में पुदुकोड़ा, खिलचीपुर, सांगली, कुरवाई, कोटा, कंथाल, राजबुंदी नाम के स्टेट भी थे
मराठी, पारसी, उर्दू, हिन्दी, संस्कृत, अंग्रेजी आदि में लिखे एक आने से 10 रुपए तक के 70 से अधिक असली स्टाम्प पेपर प्रदर्शित

Exhibition

राजकोट के संग्रहालय में पूर्व देशी रजवाड़ों के स्टाम्प पेपर की प्रदर्शनी

राजकोट. अंतरराष्ट्रीय संग्रहालय दिवस पर राजकोट के संग्रहालय में पूर्व देशी रजवाड़ों के स्टाम्प पेपर की प्रदर्शनी आयोजित की गई है। अनेक लोगों को पता नहीं होगा कि भारत में पुदुकोड़ा, खिलचीपुर, सांगली, कुरवाई, कोटा, कंथाल, राजबुंदी नाम के स्टेट भी थे। प्रदर्शनी में मराठी, पारसी, उर्दू, हिन्दी, संस्कृत, अंग्रेजी आदि में लिखे एक आने से 10 रुपए तक के 70 से अधिक असली स्टाम्प पेपर प्रदर्शित किए गए हैं।
वर्तमान पीढ़ी को अगर एक आना, डेढ़ आना सरीखी वित्तीय चलन की मुद्रा की जानकारी ना हो और भारतीय सभ्यता व संस्कृति के इतिहास की जानकारी ना हो जानकारी उपलब्ध कराने के उद्देश्य से अंतरराष्ट्रीय संग्रहालय दिवस पर राजकोट के वाटसन म्युजियम में देशी रजवाड़ों के स्टाम्प पेपर की प्रदर्शनी का आयोजन किया गया है।
जूनागढ़ के संग्राहक रमेशगिरि गोंसाई के सहयोग से आगामी 21 मई तक आयोजित प्रदर्शनी की शुरुआत शनिवार को हुई। इसमें आजादी के पहले के 70 से अधिक पूर्व देशी रजवाड़ों के स्टाम्प पेपर प्रदर्शित किए गए हैं। इनमें सोरठ, नवानगर, राहीगढ़, बीकानेर, अलवर, धोलपुर, होल्कर, वडोदरा, राजसवाई जयपुर, भरतपुर, शाहपुरा, जैसलमेर, भोपाल, वांकानेर, पोरबंदर, राज डूंगरपुर, इडर, जव्हार, चित्रकूट, मुंबई, कुरवाई आदि स्टेट के स्टाम्प पेपर शामिल हैं।
इन स्टाम्प पेपर की कीमत एक व डेढ़ आना से चार आना, पांच आना, आठ आना, एक रुपए, डेढ़ रुपए, 10 रुपए है। कोई स्टाम्प पेपर मराठी, कोई हिन्दी, अंग्रेजी में लिखे हैं। पारसी, उर्दू, संस्कृत भाषा में लिखे दस्तावेजों के अलावा बोलचाल की गुजराती भाषा में लिखे दस्तावेज भी प्रदर्शित किए गए हैं।
इन सभी दस्तावेजों से तत्कालीन समय के सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक जीवन के बारे में जानकारी मिलेगी। म्युजिमय की निदेशिका संगीता रामानुज के अनुसार आजादी के पहले भारत में कुल 562 पूर्व देशी रजवाड़ेे थे, उस समय गुजरात में 366 व सौराष्ट्र में 222 पूर्व देशी रजवाड़े थे। इनमें से कुछ के दस्तावेजों को वाटसन म्युजियम में प्रदर्शित किया गया है।
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