उन्होंने कहा कि गाजर घास फसल को नुकसान करने के अलावा मनुष्यों में कई तरह की बीमारियों का कारण होता है। यदि हर साल इस पर नियंत्रण नहीं किया गया तो यह 10 से 15 गुणा बढ़ जाता है। फाउंडेशन के प्रमुख राजेश पटेल ने कहा कि फसल के साथ खर-पतवार उगने से किसानों के मुनाफे में कमी आती है। उन्होंने खेती को व्यवसाय के रूप में स्वीकार कर रणनीति के तहत आयोजन करने की किसानों से अपील की। शिविर के दूसरे चरण में ग्रामसेवक अश्विन पटेल ने देशी गाय आधारित प्राकृतिक खेती को अपनाने की किसानों से अपील की। उन्होंने कहा कि इससे किसान आत्मनिर्भर हो सकते हैं। शिविर में हर्षद पटैल, अनिल पटेल, जीतू पटेल आदि मौजूद रहे। विशेषज्ञ वक्ता डॉ बी डी पटेल ने बताया कि पूर्व में किसान साल में एक फसल लेते थे, लेकिन अब तीन से चार फसल उपजाते हैं। इससे खेत को आराम नहीं मिलता। खेती के लिए अत्यधिक सिंचाई और उर्वरक का इस्तेमाल किया जाता है। खेत श्रमिकों की भी कमी है। ऐसी विकट परिस्थिति में खरपतवार भी मुश्किल पैदा करते हैं।