फर्जी ऑर्डर शहर के पालडी इलाके में स्थित करोड़ों रुपए की जमीन को हड़पने के इरादे से पास किए गए थे। इतना ही नहीं इस फर्जी ऑर्डर को असली बताते हुए सिटी सिविल कोर्ट में दीवानी मुकद्दमा भी दाखिल किया। कोर्ट में पेश ऑर्डर की जांच तो फर्जीवाड़ा सामने आया।सिटी सिविल कोर्ट के रजिस्ट्रार हार्दिक देसाई ने सोमवार को शहर के कारंज थाने में आरोपी मोरिस सेम्युअल क्रिश्चियन के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कराई है।
आरोपी गांधीनगर जिले के मोटी आदरज गांव में इंदिरा आवास में रहता है।एफआईआर के तहत आरोपी ने वर्ष 2019 में यह फर्जी आर्बिट्रेटर ट्रिब्यूनल बनाई। इसका खुलासा अक्टूबर 2024 में तब हुआ जब इस ट्रिब्यूनल की ओर से पास फर्जी ऑर्डर को सिटी सिविल कोर्ट नंबर 19 में जज जे एल चोवटिया के समक्ष पेश किया गया।एफआईआर के तहत अहमदाबाद के पालडी गांव के रेवन्यू सर्वे नंबर 306 में टीपी नंबर छह के फाइनल प्लॉट नंबर 3232 की सरकारी जमीन हड़पने के इरादे से फर्जी क्लेम स्टेटमेंट तथा आर्बिट्रेशन प्रोसीडिंग के रेकॉर्ड बनाए। आर्बिट्रेटर के तहत वर्ष 2019 में फर्जी ऑर्डर (अवार्ड) दावेदार बाबूजी ठाकोर के पक्ष में किया गया।
कलक्टर कार्यालय, अन्य कोर्ट ने नहीं बनाया आर्बिट्रेटर
एफआईआर में बताया है कि आरोपी मोरिस क्रिश्चियन को अहमदाबाद कलक्टर कार्यालय ने या देश की अन्य किसी कोर्ट ने इस मामले में आर्बिट्रेटर नियुक्त नहीं किया। उसने खुद ही अपने आप को आर्बिट्रेटर नियुक्त करते हुए आर्बिट्रेटर एंड कंसीलिएशन एक्ट 1996 व कोर्ट के अन्य कानूनों की पालना किए बिना ही आर्बिट्रेटर ट्रिब्यूनल के लिए कोर्ट जैसा माहौल बनाया था। आरोपी ने फर्जी कर्मचारी और वकील की नियुक्ति की। खुद जज हो ऐसा माहौल बनाकर खुद ही केस दाखिल कराया और करोड़ों रुपए की सरकारी जमीन पर आवेदक को मालिक बनाने की कोशिश की।
सिविल कोर्ट में दाखिल कराया दावा
फर्जी आर्बिट्रेटर ट्रिब्यूनल ऑर्डर के जरिए आरोपी ने दावेदार बाबूजी ठाकोर के जरिए 8 नवंबर 2019 को सिटी सिविल कोर्ट में जमीन के मालिकाना हक के संबंध में दीवानी दावा किया। इसके लिए खुद ही वकील किया। दावेदार को मार्गदर्शन दिया और केस की मॉनीटरिंग की। कोर्ट में दलील भी कीं और कोर्ट को गुमराह किया।