संजीव भट्ट की रिमाण्ड के लिए सरकार पहुंची हाईकोर्ट
अहमदाबादPublished: Sep 10, 2018 11:28:32 pm
-निचली अदालत ने खारिज की थी रिमाण्ड याचिका
– 22 साल पुराने मामले में हुई थी गिरफ्तारी
संजीव भट्ट की रिमाण्ड के लिए सरकार पहुंची हाईकोर्ट
अहमदाबाद. 22 वर्ष पुराने एनडीपीएस के एक फर्जी मामले में पालनपुर की अदालत की ओर से बर्खास्त आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट को पुलिस रिमाण्ड नहीं दिए जाने को राज्य सरकार ने उच्च न्याायलय में चुनौती दी है।
सीआईडी क्राइम ने इस मामले में गत 5 सितम्बर को भट्ट तथा बनासकांठा पुलिस की एलसीबी के निरीक्षक आई बी व्यास को गिरफ्तार किया था। अगले दिन आरोपी अधिकारी को रिमाण्ड के लिए अदालत में पेश किया गया था, लेकिन स्थानीय अदालत ने जांच एजेंसी की रिमाण्ड याचिका खारिज करते हुए भट्ट सहित दोनों को पालनपुर सब जेल भेजने का आदेश दिया था।
बनासकांठा के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक के रूप में ३० अप्रेल १९९६ को पालनपुर थाने में दर्ज एनडीपीएस के फर्जी मामले में भट्ट की गिरफ्तारी हुई है। गुजरात उच्च न्यायालय के निर्देश के आधार पर यह गिरफ्तारी की गई है। राजस्थान के वकील सुमेर सिंह राजपुरोहित की ओर से वर्ष १९९८ में दायर याचिका पर गुजरात उच्च न्यायालय ने गत अप्रेल महीने में फैसला सुनाते हुए सीआईडी क्राइम से विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित करते हुए तीन महीने में जांच पूरी करने को कहा था। एसआईटी के मुखिया सीआईडी क्राइम के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (एडीजीपी) अजय तोमर हैं वहीं टीम के अन्य सदस्यों में पुलिस उपमहानिरीक्षक (डीआईजी) दीपांकर त्रिवेदी और जांच अधिकारी एसपी वीरेन्द्र यादव शामिल हैं।
इस प्रकरण की जांच के दौरान सामने आया कि तत्कालीन बनासकांठा एसपी संजीव भट्ट ने राजस्थान के पाली जिले के वद्र्धमान मार्केट स्थित एक दुकान को खाली कराने के लिए तत्कालीन दुकान के कब्जाधारक पाली में बापूनगर निवासी वकील सुमेर सिंह राजपुरोहित पर एनडीपीएस का फर्जी केस पालनपुर थाने में ३० अप्रेल १९९६ को दर्ज किया था। इस मामले में सुमेर सिंह की कुछ दिनों बाद ही गिरफ्तारी भी की थी।
1988 बैच के आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट को वर्ष २०१५ में केन्द्र सरकार की ओर से बर्खास्त किया जा चुका है।