अहमदाबाद

वर्ष २०२२ के बाद स्वजनों को नहीं देनी पड़ेगी किडनी : डॉ. मिश्रा

राज्य के सभी प्रमुख अस्पतालों में काम कर रहें हैं कार्यकर्ता

अहमदाबादAug 13, 2019 / 10:42 pm

Omprakash Sharma

वर्ष २०२२ के बाद स्वजनों को नहीं देनी पड़ेगी किडनी : डॉ. मिश्रा

अहमदाबाद. गुजरात में इस लक्ष्य पर काम किया जा रहा है कि वर्ष २०२२ के बाद किसी मरीज को उनके स्वजनों को किडनी न देनी पड़े। यह संभव भी है यदि केडेवर से अंग मिलें तो।
ट्रान्सप्लान्ट के मामले में राज्य के सबसे बड़े अस्पताल इंस्टीट्यूट ऑफ किडनी डिसिज एंड रिसर्च सेंटर (आईकेडीआरसी) के निदेशक डॉ. विनीत मिश्रा ने यह कहा। उन्होंने कहा कि इन दिनों राज्य के सभी बड़े बड़े हॉस्पिटल्स एवं ट्रॉमा सेंटरों में कार्यकर्ता काम पर लगे हुए हैं। जहां-जहां ब्रेन डेड मरीज उपचाराधीन हैं और उनकी ठीक होने की संभावना नहीं होती है उनके परिजनों को समझाने का काम किया जा रहा है ताकि वे अंगदान को राजी हों। इसके परिणाम भी मिल रहे हैं। आईकेडीआरसी में इस वर्ष अब जुलाई तक ५८ केडेवर्स के अंग मिले हैं। पिछले वर्ष पूरे वर्ष में यह संख्या नब्बे ही थी। राज्य सरकार, अस्पताल और स्वैच्छिक संस्थाएं इस मामले में गंभीर हैं। जिससे यह लक्ष्य रखा है कि आगामी २०२२ के बाद होने वाले किडनी ट्रान्सप्लान्ट के लिए मरीज के स्वजनों को आगे नहीं आना पड़ेगा। इसका अर्थ यह है कि केडेवर से मिलने वाले अंगों से यह पूर्ति हो सकेगी।
हालांकि अभी स्थिति यह है कि ज्यादातर मामलों में स्वजनों को एक किडनी देनी होती है जिससे ट्रान्सप्लान्ट होता है। केडेवर(ब्रेन डेड) से मिलने वाले अंगों की संख्या इससे कम है। उम्मीद जताई है कि आगामी समय में जागरूकता के बल पर यह संभव हो सकेगा।
लगातार बढ़ रही है केडेवर ट्रान्सप्लान्ट की संख्या
आईकेडीआरसी में केडेवर (ब्रेन डेड संबंधित) के अंग से होने वाले ट्रान्सप्लान्ट की संख्या लगातार बढ़ रही है। वर्ष २०१५ में केडेवर की ओर से ७१ किडनी एवं लीवर के ट्रान्सप्लान्ट आईकेडीआरसी में किए गए थे। वर्ष १९८४ से लेकर यह संख्या सबसे अधिक थी । इसके बाद वर्ष २०१६ में केडेवर की ओर से १०३, २०१७ में १०६ और जुलाई २०१९ तक ५८ ट्रान्सप्लान्ट केडेवर के माध्यम से किए गए। अस्पताल प्रशासन और सरकार इस पर विशेष ध्यान दे रहे हैं ताकि आगामी समय में जीवित व्यक्ति को अंग देने की नौबत ही नहीं आए। इन सभी कार्यों में डॉ. त्रिवेदी की दूरदर्शिता काम आ रही है।
डॉ. विनीत मिश्रा, निदेशक आईकेडीआरसी
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