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Ahmedabad News : प्राकृतिक खेती के बारे में राज्यपाल के अनुभव से प्रभावित हुए किसान

locationअहमदाबादPublished: Sep 15, 2019 11:26:02 pm

Submitted by:

Rajesh Bhatnagar

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Ahmedabad News : प्राकृतिक खेती के बारे में राज्यपाल के अनुभव से प्रभावित हुए किसान

Ahmedabad News : प्राकृतिक खेती के बारे में राज्यपाल के अनुभव से प्रभावित हुए किसान

जूनागढ़. राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने प्राकृतिक खेती के बारे में किसान के तौर पर अपने अनुभव बताते हुए यहां जूनागढ़ कृषि यूनिवर्सिटी के सरदार पटेल सभागृह में उपस्थित 1800 से अधिक किसानों से रविवार को सीधा संवाद किया। उनके अनुभव से किसान काफी प्रभावित भी हुए। राज्यपाल ने किसानों से प्रश्नोत्तरी भी की और प्राकृतिक खेती का प्रतिभाव भी जाना।
राज्यपाल ने हरियाणा के कुरुक्षेत्र में अपनी 150 एकड़ जमीन पर प्राकृतिक खेती को सोने की खेती बताई। उन्होंने 35 वर्ष तक गुरुकुल में शिक्षण कार्य के साथ खेती करने का उल्लेख करते हुए कहा कि गुरुकुल में 300 गाय, 200 एकड़ जमीन है, इसमें से 150 एकड़ जमीन पर प्राकृतिक खेती की जा रही है। उन्होंने कहा कि 150 एकड़ जमीन पर खेती के प्रयोग से प्राप्त फायदों के बाद निर्णय किया है कि प्राकृति खेती का प्रचार-प्रसार देशभर में होना चाहिए।
साबित हुआ कि उत्पादन नहीं घटता
राज्यपाल ने कहा कि प्राकृतिक खेती करने से उत्पादन घटने के बारे में कृषि वैज्ञानिक चिंतित थे, लेकिन स्पष्ट हुआ है कि इस खेती से उत्पादन नहीं घटता। उन्होंने कहा कि 150 एकड़ के सिवाय वाली 50 एकड़ जमीन अन्य किसानों को लीज पर दी और उस पर रासायनिक खाद से खेती करने पर उप्तादन निरंतर घटने से किसान खेती छोड़ गए। उसके बाद उस जमीन को पुन: उत्पादन योग्य बनाने के लिए कृषि विशेषज्ञों ने रासायनिक खाद का उपयोग करने की सलाह दी, लेकिन उन्होंने सुभाष पालेकर खेती अपनाकर एक ही वर्ष में उस जमीन को उत्पादक बनाया और वहां के कृषि वैज्ञानिक भी उस परिणाम से प्रभावित हुए।
यह हैं फायदे
राज्यपाल ने प्राकृतिक खेती के फायदे बताते हुए कहा कि इससे पानी की बचत होती है, पर्यावरण, स्वास्थ्य, गाय का संवद्र्धन हो रहा है और उत्पादन में कोई कमी नहीं होती। उन्होंने कहा कि किसानों को समृद्ध बनाने का एक मात्र उपाय प्राकृतिक खेती है, इससे गांव के पैसे गांव में रहते हैं और किसानों की आवक दुगुनी होगी। ग्लोबल वार्मिंग का एक कारण रासायनिक खेती को बताते हुए उन्होंने कहा कि जमीन में यूरिया व डीएपी का उपयोग करने से कीट व केंचुए (जो हल के समान काम करते हैं) का नाश हो रहा है। उन्होंने कहा कि गाय के गोबर में करोड़ों खेती उपयोगी जीवाणु होते हैं।

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