सरकार के इस निर्णय के चलते किसान ङ्क्षचतित हो उठे हैं। उन्हें पानी के अभाव में उनकी पकने को तैयार गेंहू की फसल, गन्ने और कपास की फसल एवं घास-चारे की फसल को भारी नुकसान होने का डर सता रहा है। किसानों ने सरकार से मांग की है कि वह एक महीने तक और सिंचाई के लिए नर्मदा का जल उपलब्ध कराए। ज्यादा ही संकट हो तो 15-15 दिनों में पानी दें, लेकिन पानी जरूर दें नहीं तो कर्जदार किसान की स्थिति फसल के नष्ट होने से और बदहाल हो जाएगी।
सरकार ने घोषणा की कि किसानों को सिंचाई के लिए अब नर्मदा का पानी उपलब्ध नहीं कराया जाएगा। 28 फरवरी तक सिंचाई के लिए जल उपलब्ध कराया गया है। रवि फसल को मद्देनजर रखते हुए जरूरत का पानी उपलब्ध कराया है। लेकिन आगामी दिनों में राज्य में पीने के पानी का संकट ना गहराए इसे देखते हुए नर्मदा बांध के जल को आरक्षित रखा गया है।
नर्मदा के जरिए गुजरात राज्य के साढ़े छह करोड़ की जनता में से चार करोड़ लोगों को पानी उपलब्ध कराया जाता है। ऐसे में उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल ने आम नागरिकों से अपील भी की कि वे पीने के पानी का भी काफी ध्यानपूर्वक उपयोग करें। बारिश न होने तक पानी को उपलब्ध कराने के लिए सरकार प्रतिबद्ध है। इसे देखते हुए यह निर्णय किया है। पीने के लिए जरूरत पडऩे पर और भीपानी उपलब्ध कराया जाएगा।
ज्ञात हो कि बारिश नहीं होने के चलते राज्य के ९१ तहसीलों सूखाग्रस्त घोषित की गई हैं। जिन्हें विशेष पैकेज उपलब्ध कराया गया है। इसके चलते पशुपालकों को स्थानांतरण भी करना पड़ा था।