शहर के विभिन्न क्षेत्रों में रह रही उत्तर भारत मूल की महिलाओं ने बड़ी चौथ के नाम से प्रसिद्ध करवा चौथ का व्रत किया। दिन भर उपवास रखकर शाम को नए वस्त्र पहने और समूह में एकत्र होकर करवा चौथ की कहानी सुनी। बाद में बुजुर्ग महिलाओं को चीनी या बर्तन के बने करवा भेंट स्वरूप दिए और पति से आशीर्वाद लिया। कहानी सुनने के बाद रात को चन्द्रमा को अघ्र्य देकर एवं छलनी में से पति के चेहरे को देखकर भोजन किया।
बिहार, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, राजस्थान, झारखंड, छत्तीसगढ़ आदि राज्यों में कार्तिक मास कृष्णपक्ष की चतुर्थी को यह व्रत किया जाता है। यह व्रत सुहागिन महिलाएं ही करती हैं। ऐसे में शहर के अमराईवाडी, नरोडा, नोबलनगर, रखियाल, सरसपुर, जोधपुर, चांदखेड़ा आदि इलाकों में रह रही इन राज्यों की महिलाओं ने करवा चौथ का व्रत रखा और पति की दीर्घायु व परिवार की सुख-शांति की कामना की।