अहमदाबाद. कजरी तीज व्रत हर साल रक्षाबंधन के तीन दिन बाद भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। कजरी तीज को बड़ी तीज, कजली तीज, पुराना तीज, सातुड़ी तीज के नाम से भी जाना जाता है, यह व्रत सुहाग की सलामती के लिए रखा जाता है। भगवान शिव के साथ देवी पार्वती और तीज माता की पूजा की जाती है। शैली बापना ने बतया की अहमदाबाद के सैटेलाईट इलाके में जोधपुर और राजस्थान के काफी शहरों की महिलाओं ने मिलकर विधि पूर्वक पूजा की और चंद्र देवता को अर्ख दे सत्तु से अपना वृत्त पूर्ण किया।
अहमदाबाद. कजरी तीज व्रत हर साल रक्षाबंधन के तीन दिन बाद भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। कजरी तीज को बड़ी तीज, कजली तीज, पुराना तीज, सातुड़ी तीज के नाम से भी जाना जाता है, यह व्रत सुहाग की सलामती के लिए रखा जाता है। भगवान शिव के साथ देवी पार्वती और तीज माता की पूजा की जाती है। शैली बापना ने बतया की अहमदाबाद के सैटेलाईट इलाके में जोधपुर और राजस्थान के काफी शहरों की महिलाओं ने मिलकर विधि पूर्वक पूजा की और चंद्र देवता को अर्ख दे सत्तु से अपना वृत्त पूर्ण किया।