मृतकों के परिजनों में इस हादसे को लेकर गुस्सा भी था। माहौल नहीं बिगड़े इसके लिए सिविल अस्पताल परिजनों में पुलिस की भी कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई थी। कई मृतकों के परिजनों का आरोप था कि अस्पताल प्रशासन ने हादसे को लेकर उनको सूचित किया। यदि अस्पताल की फीस लेनी होती थी तो कई बार फोन आते थे, लेकिन जब हादसा हुआ था उसकी सूचना तक नहीं दी गई। टेलीविजन के जरिए परिजनों की जानकारी मिली। उनका आरोप है कि कहीं न कहीं अस्पताल प्रशासन इस अस्पताल के लिए जिम्मेदार है।
हमें तो टीवी से पता चला मेहसाणा में खेरालू के रहने वाले परेश सिंधी ने रुंधे गले से कहा कि पिछले शुक्रवार को सांस लेने में दिक्कत होने से ज्योतिबेन सिंधी, जो मेरी भाभी हैं उनको नवरंगपुरा की इस अस्पताल में भर्ती किया गया था। मेरी भाभी को तो कोरोना नहीं था, सिर्फ सांस लेने में दिक्कत थी। उनको भी आईसीयू वॉर्ड में वेन्टीलेटर पर रखा गया था। हालांकि पिछले दो-तीन दिनों से वे अपने आप सांस लेने लगी थी, जिससे गुरुवार को उन्हें जनरल वॉर्ड में शिफ्ट किया जाना था, लेकिन क्या पता था ऐसा हो जाएगा।
वे बताते हैं कि हमें तो यह जानकारी टीवी से मिली। मेरे भाई यहां नजदीकी एक एक होटल में ठहरे थे उनको तक इस हादसे की जानकारी नहीं थी। उनको भी हमने ही मोबाइल पर जानकारी दी थी।
कोरोना से जीते थे, लेकिन अस्पताल ने.. सिराज मंसूरी ने कहा कि कोरोना संक्रमण होने से आरीफ मंसूरी को 27 जुलाई को सिविल अस्पताल में भर्ती किया गया था। बाद में उन्हें नवरंगपुरा स्थित एक अस्पताल के आईसीयू में भर्ती कराया गया था। बुधवार को उनकी तबीयत में काफी सुधार हुआ था। गुरुवार को जनरल वॉर्ड में शिफ्ट किया जाना था, लेकिन क्या पता था वे ऐसे हादसे के शिकार हो जाएंगे। कहा जाए तो कोरोना से स्वस्थ हो चुके थे, लेकिन कहीं न कहीं अस्पताल की लापरवाही से उनकी मौत हुई है। जब फीस लेनी होती थी अस्पताल से बारंबार फोन आते लेकिन इस हादसे का कोई भी मैसेज नहीं आया। इस मामले की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए।