अहमदाबाद. देश में मछली उत्पादन में पिछले कई वर्षों से अव्वल रहने वाला गुजरात बीते वर्ष आए चक्रवातों के चलते एक पायदान नीचे खिसक गया। गुजरात की जगह अब तमिलनाडु ने ले ली है।
केन्द्रीय समुद्री मत्स्यिकी अनुसंधान संस्थान (सीएमएफआरएआई) की हालिया 2019 की रिपोर्ट के मुताबिक तमिलनाडु ने वार्षिक मछली उत्पादन में गुजरात को पछाड़कर पहला स्थान हासिल किया है।
देश भर में मछली उत्पादन में 2.1 फीसदी की बढोत्तरी हुई है। रिपोर्ट के मुताबिक पिछले वर्ष छह भयानक चक्रवातों के कारण फिशिंग कैलेण्डर प्रभावित हुआ। यह विशेषकर पश्चिमी तट पर ज्यादा बुरी तरह से प्रभावित हुआ। इन चक्रवाती तूफानों में अप्रेल में फैनी, जून में वायु, सितम्बर में हीका, अक्टूबर में क्यार, अक्टूबर-नवम्बर में म्हा और इसी दौरान बुलबुल चक्रवात आया।
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के मातहत इस संस्थान की रिपोर्ट के अनुसार लगातार चक्रवाती तूफान के साथ-साथ अखाद्य मछली की बड़ी मात्रा में उपलब्ध होना मछली के उत्पादन में कमी के कारण में शामिल है।
भारत में वर्ष 2019 में मछली का उत्पादन 3.56 मिलियन टन हुआ जो वर्ष 2018 के 3.49 मिलियन टन उत्पादन से 2.1 फीसदी ज्यादा है। इस तरह इसमें 73770 टन की वृद्धि हुई। चीन और इंडोनेशिया के बाद विश्व मेे तीसरा सबसे बड़ा मछली उत्पादक देश है।
तमिनलाडु ने इस वर्ष कई वर्षों तक मछली उत्पादन में पहले स्थान पर काबिज रहे गुजरात को हटाकर अव्वल स्थान पाया है। तमिलनाडु मे वर्ष 2019 में 7.75 लाख टन का उत्पादन हुआ जो वर्ष 2018 में 7.02 लाख टन था। इस हिसाब से तमिनलाडु का देश के मछली उत्पादन में 21.8 फीसदी हिस्सा रहा वहीं गुजरात में पिछले वर्ष 7.49 लाख टन मछली उत्पादन हुआ जिसमें 4 फीसदी की कमी आई।
केन्द्रीय समुद्री मत्स्यिकी अनुसंधान संस्थान (सीएमएफआरएआई) की हालिया 2019 की रिपोर्ट के मुताबिक तमिलनाडु ने वार्षिक मछली उत्पादन में गुजरात को पछाड़कर पहला स्थान हासिल किया है।
देश भर में मछली उत्पादन में 2.1 फीसदी की बढोत्तरी हुई है। रिपोर्ट के मुताबिक पिछले वर्ष छह भयानक चक्रवातों के कारण फिशिंग कैलेण्डर प्रभावित हुआ। यह विशेषकर पश्चिमी तट पर ज्यादा बुरी तरह से प्रभावित हुआ। इन चक्रवाती तूफानों में अप्रेल में फैनी, जून में वायु, सितम्बर में हीका, अक्टूबर में क्यार, अक्टूबर-नवम्बर में म्हा और इसी दौरान बुलबुल चक्रवात आया।
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के मातहत इस संस्थान की रिपोर्ट के अनुसार लगातार चक्रवाती तूफान के साथ-साथ अखाद्य मछली की बड़ी मात्रा में उपलब्ध होना मछली के उत्पादन में कमी के कारण में शामिल है।
भारत में वर्ष 2019 में मछली का उत्पादन 3.56 मिलियन टन हुआ जो वर्ष 2018 के 3.49 मिलियन टन उत्पादन से 2.1 फीसदी ज्यादा है। इस तरह इसमें 73770 टन की वृद्धि हुई। चीन और इंडोनेशिया के बाद विश्व मेे तीसरा सबसे बड़ा मछली उत्पादक देश है।
तमिनलाडु ने इस वर्ष कई वर्षों तक मछली उत्पादन में पहले स्थान पर काबिज रहे गुजरात को हटाकर अव्वल स्थान पाया है। तमिलनाडु मे वर्ष 2019 में 7.75 लाख टन का उत्पादन हुआ जो वर्ष 2018 में 7.02 लाख टन था। इस हिसाब से तमिनलाडु का देश के मछली उत्पादन में 21.8 फीसदी हिस्सा रहा वहीं गुजरात में पिछले वर्ष 7.49 लाख टन मछली उत्पादन हुआ जिसमें 4 फीसदी की कमी आई।
चक्रवातों के चलते पिछड़े पिछले वर्ष आठ भीषण चक्रवातों में से सौराष्ट्र तट पर पांच चक्रवातों के आने के कारण मछली उत्पादन पर उसका बुरा प्रभाव पड़ा। इसके अलावा समुद्र किनारे औद्यौगिक प्रदूषण के कारण कई जाति की मछलियां समुद्र तटों तक नहीं आ पाती हंै।
-वेलजी भाई मसाणी, अध्यक्ष, अखिल भारतीय माछीमार एसोसिएशन