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मछुआरों ने दी सरकार के विरुद्ध आंदोलन की चेतावनी

locationअहमदाबादPublished: Dec 27, 2020 11:44:45 pm

Submitted by:

Rajesh Bhatnagar

गुजरात खारवा समाज की बैठक
34 हजार करोड़ रुपए के पैकेज की केवल घोषणा का आरोप
समस्याओं का समाधान नहीं होने पर बंदरगाह बंद रख नावों के साथ चक्काजाम करने का निर्णय

मछुआरों ने दी सरकार के विरुद्ध आंदोलन की चेतावनी

मछुआरों ने दी सरकार के विरुद्ध आंदोलन की चेतावनी

वेरावल. गुजरात खारवा समाज की रविवार को यहां आयोजित बैठक में मछुआरों ने 34 हजार करोड़ रुपए के पैकेज की केवल घोषणा करने का आरोप लगाते हुए सरकार के विरुद्ध सडक़ पर उतरकर आंदोलन करने की चेतावनी दी है। समस्याओं का समाधान नहीं होने पर बंदरगाह बंद रख नावों के साथ चक्काजाम करने का निर्णय किया गया।
वेरावल में खारवा समाज की वाडी में आयोजित बैठक की अध्यक्षता करते हुए गुजरात खारवा समाज के अध्यक्ष प्रेमजीभाई खुदाई ने आरोप लगाते हुए कहा कि अन्य राज्यों में छोटे समुद्र किनारों के मुकाबले गुजरात में सबसे बड़ा समुद्र किनारा होते हुए भी केन्द्र व राज्य सरकार की ओर से किसी प्रकार की सहायता नहीं की जाती। अन्य राज्यों में मकान निर्माण के लिए आर्थिक सहायता की जाती है लेकिन, गुजरात में एक रुपए की भी मदद नहीं की जाती।
समाज के उपाध्यक्ष जितुभाई कुहाड़ा ने आरोप लगाते हुए कहा कि वर्ष 2011 से अब तक 34 हजार करोड़ रुपए के केवल पैकेज घोषित किए गए हैं। गुजरात में समुद्र किनारे मछुआरों व परिवारों के लिए आईटीआई, अस्पताल, पक्के मकान, स्कूल, कॉलेज, पानी की व्यवस्था की भी केवल घोषणा की गई है लेकिन, लाभ नहीं मिला।
उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि 800 करोड़ रुपए के अनुदान की 10 वर्ष पहले घोषणा की गई लेकिन, दो वर्ष से अनुदान की राशि बंद है। बेकारी बढऩे के साथ ही आत्महत्या की वारदातें बढ़ रही हैं। आगामी दिनों में मछुआरों को नौकरी करने के लिए मजबूर होना पड़ सकता है। वर्ष 1998 के बाद सबसे खराब हालत वर्तमान समय में है, अनेक बार प्रतिनिधिमंडलों ने सरकार से मुलाकात की लेकिन, कोई समाधान नहीं निकला।
बैठक में निर्णय किया गया कि समस्याओं के समाधान के लिए केन्द्र व राज्य सरकार से मुलाकात के लिए प्रतिनिधिमंडल जाएंगे। इसके बावजूद समस्याओं का समाधान नहीं होने पर सडक़ पर उतरकर बंदरगाह बंद रख नावों के साथ चक्काजाम करने का निर्णय किया गया।
किसानों की भांति आंदोलन की अपील

गुजरात बोट एसोसिएशन के अध्यक्ष गोपाल फोफंडी ने 50 लाख रुपए की नाव का बीमा नहीं करने और मांग करने पर लाइसेंस रद्द करने का आरोप लगाया। उन्होंने मांगों को लेकर दिल्ली में किसानों के आंदोलन की भांति गुजरात के मछुआरों को भी आंदोलन करने की अपील की।
कम अनुदान देने, सहायता नहीं करने के भी आरोप

जाफराबार, पोरबंदर, कच्छ आदि स्थानों के पटेलों ने रोष जताते हुए आरोप लगाया कि 300 लीटर के बजाय मात्र 35 लीटर केरोसिन दिया जा रहा है और 80 रुपए लीटर के मुकाबले मात्र 25 रुपए का अनुदान दिया जा रहा है। इसके अलावा मछली पकडऩे के हजारों रुपए के जाल के लिए मामूली अनुदान राशि दी जाती है। समुद्र में दुर्घटनावश मौत होने पर सबूत देने के बावजूद खलासियों के परिवारों को सहायता नहीं मिलती। यह भी आरोप लगाया गया कि प्राकृतिक आपदाओं में हजारों रुपए के नुकसान के बावजूद सहायता राशि नहीं दी जाती, बैंकों से ऋण नहीं दिया जाता और सरकार की ओर से भी मदद नहीं की जाती। बैठक में सूरत, कच्छ, ओखा, द्वारका सहित 35 से अधिक छोटे-बड़े बंदरगाहों के पटेलों, नाव, होड़ी, पिलाणी एसोसिएशनों के अध्यक्षों और अग्रणियों ने बैठक में हिस्सा लिया।
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