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सिविल अस्पताल के स्वाइन फ्लू वार्ड में चार और मरीज भर्ती

locationअहमदाबादPublished: Sep 20, 2018 10:24:43 pm

Submitted by:

Omprakash Sharma

कुल बीस में से १६ पॉजिटिव

Four more patients admited in Ahmedabad Civil Hospital Swine Flu Ward

सिविल अस्पताल के स्वाइन फ्लू वार्ड में चार और मरीज भर्ती

अहमदाबाद. शहर के सिविल अस्पताल के स्वाइन फ्लू वार्ड में गुरुवार को और चार मरीजों को भर्ती किया गया है। इसके साथ ही भर्ती होने वाले मरीजों की संख्या २० हो गई। इनमें से १६ की रिपोर्ट पॉजिटिव बताई गई है।
अस्पताल प्रशासन के अनुसार अस्पताल में एक ही दिन स्वाइन फ्लू की शंका के आधार पर भर्ती किया गया है। इनकी रिपोर्ट नहीं आई है। बुधवार तक वार्ड में भर्ती मरीजों की संख्या १६ थी जो अब बीस हो गई है। फिलहाल बुधवार तक के सभी मरीजों की रिपोर्ट पाजिटिव है। सूत्रों के अनुसार सिविल अस्पताल में इस माह स्वाइनफ्लू के मरीजों की संख्या लगभग ३५ तक पहुंच गई है। इनमें नौ जनों की मौत भी हो गई। सिविल अस्पताल के अलावा शहर के अन्य कुछ अस्पतालों में भी स्वाइन फ्लू के मरीज हैं। मनपा सूत्रों के अनुसार शहर के विविध अस्पतालों में इस वर्ष जनवरी माह से १० सितम्बर तक स्वाइनफ्लू रोग के ६० मरीजों की पुष्टि हुई है। इनमें से तेरह की मौत हो गई। इस वर्ष सबसे अधिक मरीज सितम्बर माह में सामने आए हैं। मरीजों की बढ़ती संख्या को ध्यान में रखकर अस्पतालों में साइसोलेशन वार्ड, दवाई व अन्य साधनों में वृद्धि की जा रही है।
सरकारी अस्पतालों में सुविधाओं का अभाव…
निजी अस्पतालों में चुकाया तीन गुना उपचार खर्च
अहमदाबाद. मुख्यमंत्री अमृतम (मा) एवं मुख्यमंत्री अमृतम वात्सल्य (एमएवी) योजना के अन्तर्गत लाभ लेने वाले मरीज और उनके परिजन निजी अस्पतालों में उपचार लेना पसंद कर रहे हैं। कैग की रिपोर्ट में इसका मुख्य कारण सरकारी अस्पतालों में चिकित्सकी सुविधाओं का अभाव है।
सरकारी अस्पतालों की तुलना में निजी अस्पतालों के लिए लगभग तीन गुना अधिक उपचार खर्च चुकाया गया है। वर्ष २०१२ से २०१७ (पिछले पांच वर्ष में) दोनों योजनाओं के अन्तर्गत मरीजों के उपचार के लिए सरकार ने ५५७.६७ करोड़ रुपए चुकाए हैं। इनमें से निजी अस्पतालों में उपचार खर्च का दावा ४३३.३९ करोड़ रुपए है। जबकि सरकारी अस्पतालों का दावा मात्र १२४.३१ करोड़ रुपए था। रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकारी अस्पतालों में मरीजों की जरूरत पूरी नहीं होने की वजह से उन्हें निजी अस्पतालों में उपचार के लिए जाना पड़ा।
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