सेन्टर ऑफ स्पेशल एज्युकेशन की निदेशक प्रो. दिव्या शर्मा ने कहा कि अलग-अलग प्रकार की शारीरिक एवं मानसिक (physical and metal) खामी वाले दिव्यांगों के लिए शिक्षण एवं प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है। इसके चलते उन्हें प्रशिक्षण देने के लिए शिक्षकों को विशिष्ट प्रशिक्षण लेना होता है। प्रशिक्षण के मानदंड और पाठ्यक्रम आरसीई की ओर से निर्धारित किए जाते हैं। वहीं प्रशिक्षण लेने वाले स्पेशल एज्युकेटर क भी हर पांच वर्ष में फिर से मान्यता लेनी होती है। इसके लिए उन्हें क्षमतावद्र्धन प्रशिक्षण और प्वाइन्ट हासिल करने होते है। इसके लिए आईआईटीई के सेन्टर ऑफ स्पेशल एज्युकेशन को ऐसा प्रशिक्षण देने के लिए आरसीई की मंजूरी मिलती है। अब यहां भी स्पेशल एज्युकेटर की क्षमतावद्र्धन के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम होगा। आगामी जनवरी, फरवरी और मार्च में आरसीआई के लाइसेंस प्राप्त स्पेशल एज्युकेटर्स की क्षमता वद्र्धन के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम होंगे।
आईआईटीई के कुलपति डॉ. हर्षद पटेल ने कहा है कि शिक्षकों प्रशिक्षण देने वाले इस विश्वविद्यालय का दायित्व समाज के प्रत्येक वर्ग और व्यक्ति को उचित प्रशिक्षण देना है। इसके चलते ही आईआईटीई ने पांच सेन्टर स्थापित किए हैं। इसके जरिए ही जरूरी प्रशिक्षण और प्रशिक्षण कार्यक्रम किए जाते हैं।